नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर विवाद मामले में बुधवार को अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को आम्रपाली घर खरीदारों को दिए गए कर्ज का पुनर्गठन करने को कहा है। साथ ही शेष राशि को जारी करने का निर्देश भी दिया है, जो अब तक जारी नहीं की गई। न्यायालय ने कहा कि इस राशि का उपयोग निर्माण पूरा करने के लिए किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि बैंक और वित्तीय संस्थान, जिन्होंने होम लोन को एनपीए के रूप में घोषित किया है, उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के अनुसार घर खरीदारों को राशि जारी करनी होगी। साथ ही कोर्ट ने एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेशियो को लेकर भी निर्देश जारी किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ एफएआर 2.75 पर होगा न कि 3.5 पर। अगर एफएआर में कोई बढ़ोतरी होती है, तो यह नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा तय किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा व ग्रेटर नोएडा के घर खरीदारों की स्थिति जस की तस है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रोजेक्ट के अधूरे पड़े काम में कोई प्रगति नहीं हुई है।
इस संदर्भ में कोर्ट ने अथॉरिटी से पूछा है कि वो बैंकों और वित्तीय सहायता देने को राजी अन्य संस्थानों को ये बता दें कि उनको काम पूरा करने को एक बार मे कितनी धनराशि की जरूरत है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने ये निर्देश जारी किए।
अब सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई करेगा। बिल्डरों और रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण बिल्डर से भुगतान में ब्याज के लिए ज्यादा ब्याज नहीं ले सकता। ये ब्याज दर आठ फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है।