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नई दिल्ली: भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौता में शामिल नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार, भारत की चिंताओं पर स्थिति साफ नहीं होने के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगठन का हिस्सा नहीं बनने का फैसला लिया है। सूत्रों ने कहा कि समझौते के अहम मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है और भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। आरसीईपी समझौता अपने मूल उद्देश्य को नहीं दर्शाता है और इसके नतीजे संतुलित नहीं होंगे।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा हालात में भारत का मानना है कि उसका आरसीईपी में शामिल होना उचित नहीं होगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि अनसुलझे मुद्दों के कारण भारत का क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। साथ ही आरसीईपी में शामिल नहीं होने का निर्णय राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर लिया गया है। भारत और आसियान सदस्यों समेत 16 देशों के नेता आपस में दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने को लेकर आज घोषणा करने वाले थे। मगर समझौते पर कुछ नए उभरे मुद्दों को लेकर ही भारत ने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित इन देशों के नेता यहां तीन दिवसीय आसियान सम्मेलन, पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन और आरसीईपी व्यापार वार्ता के सिलसिले में यहां मौजूद हैं। आरसीईपी को लेकर बातचीत सात साल से चल रही है लेकिन बाजार खोलन और कुछ वस्तुओं पर प्रशुल्क से जुड़ी भारत की "कुछ नई मांगों" के कारण आरसीईपी समझौते को अंतिम रूप देने में थोड़ी देरी होने के आसर थे।

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