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नई दिल्ली: बेरोजगारी के 45 सालों में सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद अब बैंक व लोन देने वाली कंपनियों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। बेरोजगारी बढ़ने के बाद लोग अब अपने लोन की किश्त को भी नहीं चुका रहे हैं, जिसका असर आगे चलकर देखने को मिल सकता है।ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार बैंकों से अक्सर लोग होम, ऑटो, शिक्षा और पर्सनल लोन लेते हैं। इसके अलावा आजकल बहुत सारे व्यक्ति क्रेडिट कार्ड भी रखते हैं। ऐसे में किश्त की अदायगी नहीं होने के कारण बैंकों को रिटेल लोन एनपीए बढ़ने की उम्मीद है।

एसबीआई का बढ़ा रिटेल लोन एनपीए

भारतीय स्टेट बैंक का रिटेल लोन एनपीए जून में 4.8 फीसदी था, जो कि जुलाई में बढ़कर के 5.3 फीसदी हो गया है। इससे बैंक आगे भी लोगों के लोन को प्रोसेस करने में देरी कर रहे हैं। फिच रेटिंग्स के अनुसार रिटेल लोन किश्त की न आदाएगी से बैंकों पर दबाव देखने को मिलेगा।

नौकरी नहीं है तो कहां से चुकाएंगे लोन

मंदी के कारण कई सेक्टर से लोगों को निकाला जा रहा है। जिन लोगों ने नौकरी के दौरान बैंकों से किसी भी तरह का लोन ले रखा था, उसको चुकाने के लिए उनके पास पैसे नहीं है। ऐसे में रिटेल लोन की भरपाई न होने से बैंकों व वित्तीय कंपनियों की बैलेंस शीट पर भी असर पड़ने की संभावना है। लोगों के पास जरूरतें पूरी करने लायक पैसा बचा हुआ है। ऑटो, रियल एस्टेट, एफएमसीजी जैसे प्रमुख सेक्टरों में नौकरी कर रहे ज्यादातर लोग अब जैसे-तैसे खर्चा चला रहे हैं। वो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसा उधार ले रहे हैं, ताकि बच्चों की फीस, घर का किराया और अन्य मुख्य जरूरतों को पूरा किया जा सके। मंदी के बीच देश में बेरोजगारी दर पिछले तीन साल के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। वहीं देश के तीन राज्यों में स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक हो गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने इस बात का खुलासा अपनी एक रिपोर्ट में किया है।

20 अगस्त तक यह था स्तर

फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक देश में 20 अगस्त तक बेरोजगारी दर 8.3 फीसदी हो गई, जोकि पिछले तीन सालों में अभी तक का सबसे उच्चतम स्तर है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक देश के तीन राज्यों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। त्रिपुरा, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में लोगों को नौकरियां ढूंढने पर भी नहीं मिल रही हैं। त्रिपुरा में बेरोजगारी दर 23.3 फीसदी रिकॉर्ड की गई है।

सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास के मुताबिक देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। इसमें भी शहरी इलाकों में लोगों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं। ऑटो सहित कई सेक्टर में हालत बिगड़ने से भी यह असर देखने को मिल रहा है। टेक्सटाइल, चाय, एफएमसीजी, रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में भीषण मंदी आई है। ऑटो इंडस्ट्री में ही कुल 3.5 लाख लोगों को नौकरी से निकाला जा चुका है। इस सेक्टर में संभावना है कि 10 लाख लोग नौकरी से निकाले जा सकते हैं।

चाय उद्योग पर भी असर

ऑटो के साथ ही चाय, बिस्किट, कताई जैसे उद्योग में भी लोगों की नौकरियां जा सकती हैं, जिससे बेरोजगारी और बढ़ने की संभावना है। चाय उद्योग से भी 10 लाख कर्मचारी बाहर हो सकते हैं, क्योंकि लागत के मुकाबले बिक्री मूल्य काफी कम हो गया है। बिस्किट बनाने वाली कंपनी पारले-जी ने भी कहा है कि उसके यहां से 10 हजार लोगों को निकाला जा सकता है।

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