ताज़ा खबरें
संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना
दिल्ली-यूपी में बढ़ी ठंड, हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी; तमिलनाडु में तूफान

नई दिल्ली: विदेशी निवेशकों के दबाव के आगे झुकते हुये सरकार ने शुक्रवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) तथा घरेलू निवेशकों पर लगाया गया ऊंचा कर अधिभार वापस ले लिया। इस साल के बजट में एफपीआई सहित सुपर रिच लोगों पर ऊंचा कर अधिभार लगा दिया गया। विदेशी निवेशक बजट के बाद से ही बढ़े अधिभार को वापस लेने की लगातार मांग कर रहे थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए और भी कई उपायों की घोषणा की।

सीतारमण ने कहा, ‘‘पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये शेयरों, यूनिटों की खरीद फरोख्त से होने वाले दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर वित्त (नंबर- दो) अधिनियम, 2019 के जरिये लगाये गये बढ़े अधिभार को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।’’ उन्होंने कहा कि इसमें बजट से पहले की स्थिति को फिर कायम कर दिया गया है। इस कदम से सरकार को 1,400 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि यह कदम पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए उठाया गया है।

बजट में ‘सुपर रिच’ वर्ग पर कर अधिभार बढ़ाने की घोषणा से शेयर बाजार डगमगा गए थे। बजट पेश होने के बाद से शेयर बाजार लगातार दबाव में बने हुये हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में ऊंची आय कमाने वालों पर अधिभार बढ़ाने की घोषणा की है। इसमें दो से पांच करोड़ रुपये तक की कर योग्य आय पर आयकर के ऊपर 25 प्रतिशत की दर से अधिभार लगा दिया गया।

ऊंचा अधिभार लगने से इस आय वर्ग के लोगों के लिये आयकर की प्रभावी दर पहले के 35.88 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसी तरह पांच करोड़ रुपये से अधिक की आय पर 37 प्रतिशत की दर से अधिभार लगाने का बजट में प्रावधान किया गया जिससे इस आय वर्ग के लिये आयकर की प्रभावी दर 42.74 प्रतिशत तक पहुंच गई। इस बजट घोषणा के बाद करीब 40 प्रतिशत एफपीआई स्वत: ही ऊंचे कर दायरे में आ गए। इसकी वजह यह है कि वे गैर- कॉरपोरेट इकाई मसलन न्यास या व्यक्तियों के समूह (एओपी) के रूप में निवेश कर रहे थे। आयकर कानून में कराधान के मकसद से इन्हें व्यक्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

सीतारमण ने स्टार्टअप्स को एंजल कर के प्रावधान से भी मुक्त करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य के तहत स्टार्टअप्स की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। वित्त मंत्री ने बताया कि कोई भी स्टार्टअप आयकर से संबंधित मुद्दे के जल्द हल के लिए प्रकोष्ठ से संपर्क कर सकता है।

यह पूछे जाने पर कि यह कर अधिभार कब से वापस लिया जाएगा, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि इसे पूरे वित्त वर्ष के लिए वापस लिया गया है। चूंकि यह अधिभार बजट और संसद में पारित वित्त विधेयक का हिस्सा है, तो इसकी वापसी कैसे होगी, पांडेय ने कहा कि इसके लिये जरूरी आदेश अथवा अधिसूचना जारी की जायेगी। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं दी कि इस अधिभार को अध्यादेश जारी कर वित्त विधेयक में संशोधन के जरिये वापस लिया जायेगा। अध्यादेश को बाद में संसद में पारित कराना होगा।

इस कदम पर डेलॉयट इंडिया के भागीदार राजेश गांधी ने कहा कि यह काफी सकारात्मक कदम है। इससे पूंजी बाजारों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे एफपीआई पर कर की दर घट जायेगी। इससे घरेलू निवेशकों जैसे कि वैकल्पिक निवेश कोषों, व्यक्तिगत निवेशकों को भी फायदा होगा। क्योंकि ऐसा लगता है कि यह राहत सभी सूचीबद्ध निवेशों से होने वाले पूंजीगत लाभ पर दी गई है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख