नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने बुधवार को बताया कि नोटबंदी के बाद चलन से बाहर हुए 500 और 1000 के पुराने नोट में से 99.30 फीसदी नोट बैंकों में वापस आ चुके हैं। आरबीआई ने 2017-18 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसने वापस आए नोटों की गिनती पूरी कर ली है। दरअसल, कालेधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देशभर में नोटबंदी लागू करते हुए 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। इसके बाद सरकार ने लोगों को पुराने नोटों को बैंकों में जमा कराने के लिए 50 दिन का समय दिया था। रिजर्व बैंक को इन प्रतिबंधित नोटों की गिनती में काफी समय लग गया।
नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं। इसका मतलब है कि बंद किए गए नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकों के पास वापस नहीं आए हैं।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) की गिनती का जटिल कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। कुछ ऐसे मामले जिनमें बहुत अधिक पुराने नोट जमा कराए गए, अब आयकर विभाग की जांच के घेरे में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के पास आए एसबीएन को जटिल द्रुत गति की करेंसी सत्यापन एवं प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) के जरिये सत्यापित किया गया और उनकी गिनती करने के बाद नष्ट कर दिया गया।
नए नोट छापने पर दोगुना खर्च
नोटबंदी के बाद 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 500 और 2,000 रुपये के नए नोट व अन्य मूल्य के नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए, जो इससे पिछले साल खर्च की गई 3,421 करोड़ रुपये की राशि के दोगुने से भी अधिक है। 2017-18 (जुलाई 2017 से जून 2018) के दौरान केंद्रीय बैंक ने नोटों की छपाई पर 4,912 करोड़ रुपये और खर्च किए।