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नई दिल्ली: सरकार ने पुराने पड़ चुके चेतक हेलिकॉप्टरों के बेड़े को बदलने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए नौसेना के लिए 21 हजार करोड़ रूपये की लागत से 111 हेलिकॉप्टरों सहित कुल 46 हजार करोड़ रूपये के रक्षा सौदों को आज मंजूरी दे दी। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में नौसेना के लिए 24 बहुउद्देशीय हेलिकॉप्टर एमएच 60 'रोमियो', सेना के लिए 3364 करोड़ रुपये की लागत से 150 तोप और नौसेना के लिए छोटी दूरी की 14 मिसाइल प्रणाली की खरीद को भी हरी झंडी दिखायी गयी।

नौसेना के लिए 111 हेलिकॉप्टरों की खरीद का सौदा इस मायने में बेहद महत्वपूर्ण है कि यह सरकार की 'मेक इन इंडिया' योजना को रक्षा क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय के बहुचर्चित सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत पहला प्रोजेक्ट है। सामरिक भागीदारी मॉडल की विशेषता यह है कि इसके तहत भारतीय सामरिक भागीदार लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, पनडुब्बी और बख्तरबंद वाहन जैसे बड़े रक्षा प्लेटफॉर्म देश में ही बनाएंगे। ये भागीदार इसके लिए देश में ही संयंत्र स्थापित करेंगे और इससे संबंधित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अपने विदेशी भागीदार से हासिल करेंगे।

इस मॉडल का उद्देश्य भारत को रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ भारत को रक्षा उपकरणों के उत्पादन के हब के रूप में विकसित करना है। इस मॉडल के तहत प्रोजेक्टों को अंतिम रूप दिये जाने के बाद देश में रक्षा उद्योगों के अनुकूल माहौल बनेगा और निजी क्षेत्र तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग इसके महत्वपूर्ण भागीदार होंगे। सरकार ने नौसेना की ताकत बढ़ाने के उद्देश्य से उसे 24 बहुउद्देशीय हेलिकॉप्टरों से लैस करने की भी मंजूरी दी है। सूत्रों के अनुसार फ्रांस सरकार से राफेल लड़ाकू विमानों की सीधी खरीद के तर्ज पर ही ये हेलिकॉप्टर सीधे अमेरिकी सरकार से खरीदे जाएंगे।

नौसेना को लंबे समय से इस तरह के हेलिकॉप्टरों की दरकार है। इन हेलिकॉप्टरों से लैस होने के बाद नौसेना की ताकत काफी बढ़ जायेगी क्योंकि ये हेलिकॉप्टर पनडुब्बी रोधी अभियानों के साथ साथ फायर स्पोर्ट और समुद्र में पूर्व चेतावनी संबंधी काम भी करेंगे। इन हेलिकॉप्टरों को युद्धपोतों पर तैनात किया जा सकता है।

सेना के आधुनिकीकरण के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने उसके लिए देश में ही बनी 150 स्वदेशी अत्याधुनिक तोप प्रणाली की खरीद को भी मंजूरी दी है। इस तोप प्रणाली का डिजायन और विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा किया जायेगा। इस प्रोजेक्ट की लागत 3364 करोड़ रूपये होने का अनुमान है। ये तोप भविष्य में सेना के तोपखाने का प्रमुख आधार बनेगी। इस तरह के प्रोजेक्ट से सरकार की 'मेक इन इंडिया' योजना को बढ़ावा मिलेगा और देश रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।

रक्षा खरीद परिषद की बैठक में नौसेना के लिए 14 छोटी दूरी की मिसाइल प्रणाली की खरीद को भी मंजूरी दी गयी। इनमें से दस मिसाइल प्रणालियों को देश में ही विकसित किया जायेगा। इनसे नौसेना की ताकत बढेगी। इस प्रणाली को युद्धपोतों पर तैनात किये जाने के बाद युद्धपोत रोधी मिसाइलों से बचने की उनकी क्षमता बढ़ जाएगी।

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