नई दिल्ली: अमेरिका की बहुराष्ट्रीय वित्तीय कंपनी मास्टरकार्ड भारत में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 6,500 करोड़ रुपये (1 अरब डॉलर) का निवेश करेगी। कंपनी ने यह निवेश साल 2014 से करना शुरू किया था, जो साल 2019 तक पूरा हो जाएगा। मास्टरकार्ड ने गुरुवार को यह जानकारी दी। कंपनी ने एक बयान में कहा कि 2014 में शुरू हुए स्थानीय निवेश में दो प्रमुख अधिग्रहण शामिल हैं, पहला बेंगलुरू और गुरुग्राम में नए कार्यालय और दूसरा पुणे में मास्टरकार्ड इनोवेशन लैब्स और वैश्विक संचालन केंद्र।
अभी हाल ही में, कंपनी ने वडोदरा में एक प्रौद्योगिकी केंद्र खोला है, जहां इंजीनियर्स और डाटा वैज्ञानिक मोबाइल टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा के लिए टूल्स और सॉफ्टवेयर विकसित करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कंपनी ने कहा कि 2013 से अब तक, मास्टरकार्ड ने भारत के अपने कर्मचारियों की संख्या 29 से बढ़ाकर लगभग 2,000 तक कर ली है, जो मास्टरकार्ड की वैश्विक कर्मचारियों का 14 फीसदी है और यह अमेरिका के बाहर सबसे बड़ी संख्या हैं।
मास्टरकार्ड के कंट्री कॉरपोरेट ऑफिसर (भारत) और डिविजन प्रेसिडेंट (दक्षिण एशिया) पौरुष सिंह ने कहा, "हम कैशलेस समाज के रूप में भारत को स्थापित करने की दिशा में सरकार का मजबूती के साथ समर्थन करते हैं और इस दिशा में लगातार निवेश कर रहे हैं।" पौरुष ने कहा, "डेबिट कार्ड लेनदेन में 80-85 फीसदी शुल्क वित्तीय संस्थानों और भारत में स्थित अन्य प्रोसेसर्स को उनकी सर्विस के लिए दिया जाता है और यह पूरी तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था में ही रहता है। केवल 15-20 फीसदी हिस्सा ही मास्टरकार्ड को अपनी नेटवर्क सर्विस प्रदान करने के रूप में मिलेंगे। यह 100 रुपये के लेनदेन पर 12 से 15 पैसे के बीच होता है।
हम दृढ़ता से मानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की सफलता मास्टरकार्ड की सफलता है।" कंपनी ने कहा कि मास्टरकार्ड पिछले 36 वर्षो से अधिक समय से भारतीय अर्थव्यवस्था में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है और भारत में सुरक्षित और सुनिश्चित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करने के लिए तकनीकी, आधारभूत संरचना और विशेषज्ञता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कंपनी डिजिटल इंडिया के प्रति प्रतिबद्ध है, जिसके तहत व्यापारियों के पास कम लागत पर ग्राहकों के लिए विकल्प, सुविधा और सुरक्षा उपलब्ध कराई है।