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मुंबई: महंगाई के बढ़ते दबाव और राजकोषीय घाटे को लेकर बढ़ी चिंताओं के मद्देनजर रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) ने बुधवार को अपनी प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसके साथ ही, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए देश का विकास दर अनुमान बुधवार को घटाकर ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) को 6.7 प्रतिशत कर दिया। इसके पहले 2017-18 में देश के जीवीए वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत अनुमानित किया था।

वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने कहा, “वित्त वर्ष 2017-18 के लिए वास्तवित जीवीए वृद्धि दर को संशोधित कर 6.7 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके पहले अगस्त का अनुमान 7.3 प्रतिशत था.” आरबीआई का कहना है कि कृषि ऋण माफी से ग्रोथ पर असर पड़ेगा।

आरबीआई की 2017-18 के लिए चौथी द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा के अनुसार, रेपो दर को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। इसी तरह रिवर्स रेपो दर में भी कोई बदलाव न करते हुए उसे 5.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। जबकि सीआरआर 4 प्रतिशत पर कायम है, हालांकि एसएलआर 0.5% घटाकर 19.5% कर दिया गया है।

चौथी द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा से जारी बयान में कहा गया है, “एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) का निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की चार प्रतिशत महंगाई दर के लक्ष्य को हासिल करने, और वृद्धि दर को समर्थन देने के उद्देश्य के लिए मौद्रिक नीति के एक तटस्थ रुख के अनुरूप है।”

यह निर्णय आरबीआई के गवर्नर उर्जित आर. पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी ने लिया। समिति के पांच सदस्यों ने ब्याज दरों को यथावत रखने के पक्ष में वोट किया। छह सदस्यीय एमपीसी में तीन सदस्य सरकार के और तीन आरबीआई के होते हैं।आरबीआई ने अगस्त में अपनी पिछली नीतिगत समीक्षा में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर उसे 6.25 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था।

जीएसटी और बिजनेस को आसान बनाने की जरूरत

आरबीआई ने जीएसटी और बिजनेस को आसान बनाने की जरूरत पर जोर दिया। आरबीआई जीएसटी के क्रियान्वयन से खुश नहीं है। मौद्रिक समिति ने कहा है कि जीएसटी के लागू होने का इकोनॉमी पर नकारात्मक असर पड़ा है। साथ ही रिजर्व बैंक ने बिजनेस को भी आसान बनाने की वकालत की है।

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