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नई दिल्ली: कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने 15 दिनों के अंदर दोबारा कार्रवाई करते हुए फर्जी कंपनियों के दो लाख डायरेक्टर्स को अयोग्य घोषित कर दिया है। इन कंपनियों के डायरेक्टर्स ने पिछले दो साल से सालाना रिटर्न फाइल नहीं किया है जो कंपनीज़ ऐक्ट 2013 का उल्लंघन है। इसके अलावा मंत्रालय को कई ऐसी कंपनियों की जानकारी मिली है जिनके पास बैंकों में सैकड़ों खाते हैं।

मंत्रालय को एक ऐसी कंपनी का भी पता चला है जिसके पास 2100 खाते पाए गए हैं। सरकार की इस कार्रवाई के बाद अयोग्य घोषित किये गए डायरेक्टर्स की संख्या 3 लाख हो गई है। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार कुल 3, 19,637 डायरेक्टर्स को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इससे पहले शुक्रवार को 2,17,239 कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया गया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये कार्रवाई सिर्फ पांच बैंकों से लिये गए आंकड़ों के आधार पर की गई है। उन्होंने बताया कि ये आंकड़े अभी बढ़ सकते हैं क्योंकि 30 बैंकों से आंकड़े आने अभी बाकी हैं। उन्होंने कहा, 'बैंकों से हमें जो आंकड़े मिले हैं वो काफी आश्चर्यजनक हैं।'

साथ ही कहा कि एक फर्जी कंपनी के पास से 2100 खाते मिले हैं। उन्होंने कंपनियों का नाम तो नहीं बताया लेकिन कहा कि करीब 50 कंपनियां ऐसी हैं जो जिनके पास कई बैंकों के खाते हैं और जिनकी संख्या 450, 600, 900 और 2100 हैं।

कॉरपोरेट अफेयर मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, 'ऐसी कंपनियां मंत्रालय की नज़र में हैं और जांच चल रही है। हम इनके काम करने की तरीके की जानकारी इकट्ठी कर रहे हैं।' उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने इंडियन बैंक असोसिएशन को पत्र लिखकर एक महीने के अंदर जवाब मांगा है।

उन्होंने बताया, 'हमने बैंकों को एक फॉर्मैट दिया है। जिसमें हमने उनसे नोटबंदी के पहले और बाद में खातों में जमा किये गए या निकाली गई राकम की जानकारी दें। इसके अलावा कई और भी जानकारियां मांगी गई हैं।' इससे पहले केंद्र सरकार ने 12 सितंबर को एक लाख डायरेक्टर्स को अयोग्य घोषित किया था।

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