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मुंबई: लोन डिफॉल्ट करने वाली लिस्टेड कंपनियों को मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने कुछ राहत देते हुए अपने उस डायरेक्टिव को 'अगले नोटिस तक' के लिए टाल दिया है, जिसमें कंपनियों के लिए बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लोन पेमेंट का डिफॉल्ट की सूचना एक्सचेंजेस को देना जरूरी बताया गया था।

इस बारे में सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि उसने अपने पिछले डायरेक्टिव के कार्यान्वयन को अगले नोटिस तक के लिए टाल दिया है।

बता दें कि पिछले महीने रेग्युलेटर ने लिस्टेड कंपनियों को 1 अक्टूबर से बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से लिए गए किसी भी तरह के लोन डिफॉल्ट की सूचना एक कार्यदिवस के भीतर देने के निर्देश दिए थे। यह कदम सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के बैड लोन्स की चुनौती से पार पाने के प्रयासों के मद्देनजर उठाया गया था।

इन्वेस्टर्स को सूचना की उपलब्धता में कमी की समस्या को दूर करने के क्रम में सेबी ने लिस्टेड कंपनियों को इंटरेस्ट पेमेंट, डेट सिक्युरिटीज के एवज में इंस्टालमेंट और बैंक व फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लोन और एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग्स (ईसीबी) के एवज में किसी भी तरह के डिफॉल्ट की सूचना एक्सचेंजेस को देने के लिए कहा था।

सेबी ने कहा था, 'कंपनियों को एक डिफॉल्ट के पहले मामले में डिफॉल्ट की तारीख से एक कार्यदिवस के भीतर एक निश्चित फॉर्मैट में डिसक्लोजर करना होगा।' सेबी ने अपने बयान में कहा था कि भारत में कॉरपोरेट्स लोन के लिए प्रमुख रूप से बैंकिंग सेक्टर पर ही निर्भर हैं।

फिलहाल कई बैंक कॉरपोरेट्स को दिए गए बड़े कर्जों के संकट में फंसने की समस्या से जूझ रहे हैं, जो स्ट्रेस्ड एसेट्स और नॉन परफॉर्मेंग एसेट्स (एनपीए) में बदलते जा रहे हैं। कुछ कंपनियों ने इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी प्रोसीडिंग्स की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।'

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