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मुंबई: नोटबंदी के बाद देश के बैंकों में कई बदलाव किए गए थे, सरकार ने पेमेंट सिस्टम में कैशलेस सिस्टम को बढ़ावा दिया। सरकार द्वारा कैशलेस सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए पीओएस मशीनें खरीदी जिनकी संख्या पिछले साल 13.8 लाख थी जोकि इस साल बढ़कर 28 लाख हो चुकी है।

लेकिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट पेश की है जिससे पता चला है कि भले ही डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शंस बढ़े हो लेकिन कार्ड का कम इस्तेमाल और कमजोर टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे कारणों के कारण बैंकों को भारी नुकसान हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया, 'सरकार ने पीओएस इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं और बैंकों ने भी अधिक से अधिक पीओएस मशीनों को इन्स्टाल किया है। लेकिन लंबे समय की बात करें तो उद्देश्य तभी पूरा होगा जब पीओएस से होने वाले ट्रांजैक्शंस एटीएम को पीछे छोड़ देंगे। जो अभी मुश्किल लगता है।

एसबीआई के अनुमानों के मुताबिक, इंटर बैंक ट्रांजैक्शंस से पीओएस टर्मिनल्स पर 4,700 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसमें से अगर एक ही बैंक में किए गए पीओएस ट्रांजैक्शंस को घटा दें तो यह कुल घाटा 3,800 करोड़ रुपये हुआ।

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