नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बचत खातों (सेविंग बैंक अकाउंट) में मिनिमम बैलेंस की सीमा को 5,000 रुपये से घटाकर 3,000 रुपये कर दिया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने इसके साथ ही इस सीमा का पालन नहीं करने पर जुर्माना भी घटा दिया है। बैंक ने बयान में कहा कि संशोधित सीमा अनिवार्यता और शुल्क अक्टूबर से लागू होंगे।
इन लोगों को मिलेगी मिनिमम बैलेंस से छूट
सार्वजनिक क्षेत्र के इस सबसे बड़े बैंक ने पेंशनभोगियों, सरकार की सामाजिक योजनाओं के लाभार्थियों तथा नाबालिग खाताधारकों को बचत खाते में मिनिमम बैलेंस की सीमा से छूट दी है। इस साल अप्रैल में एसबीआई ने पांच साल बाद नए सिरे से न्यूनतम मासिक शेष और शुल्कों को फिर से लागू किया था।
महानगरों के लिए मिनिमम बैलेंस सीमा 5,000 रुपये रखी गई थी, वहीं शहरी शाखाओं के लिए यह सीमा 3,000 और अर्धशहरी शाखाओं के लिए 2,000 रुपये व ग्रामीण शाखाओं के लिए 1,000 रुपये रखी गई थी।
बैंक ने कहा कि हमने महानगरों ओर शहरी केंद्रों को एक श्रेणी में रखने का फैसला किया है। इन क्षेत्रों में अब 3,000 रुपये की सीमा लागू होगी।
मिनिमम बैलेंस न रखने पर कम हुई जुर्माना
राशि पिछले सप्ताह बैंक के प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय बैंकिंग समूह रजनीश कुमार ने कहा था कि बैंक न्यूनतम शेष की समीक्षा कर रहा है। खाते में न्यूनतम राशि न रखने पर जुर्माने को भी घटा दिया गया है। बैंक ने जुर्माना राशि को 20 से 50 प्रतिशत तक कम किया है। बैंक ने कहा कि अर्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह शुल्क या जुर्माना राशि 20 से 40 रुपये के दायरे में होगी।
वहीं शहरी और महानगर के केंद्रों के लिए यह 30 से 50 रुपये होगी। अभी तक महानगरों के लिए बैंक न्यूनतम शेष 75 प्रतिशत से नीचे आने पर 100 रुपये और उस पर जीएसटी वसूला जा रहा था। यदि न्यूनतम शेष 50 प्रतिशत या उससे कम पर आता है तो इसके लिए जीएसटी के साथ 50 रुपये का जुमार्ना वसूला जा रहा था।
वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम शेष न रखने पर 20 से 50 रुपये (साथ में जीएसटी) का जुर्माना लगाया जा रहा था। एसबीआई ने स्पष्ट किया है कि बेसिक बचत खातों और प्रधानमंत्री जनधन योजना में न्यूनतम राशि रखने की जरूरत नहीं होगी। बैंक के बचत खातों की संख्या 42 करोड़ है। इसमें से 13 करोड़ खाते इस श्रेणी में आते हैं।