ताज़ा खबरें
संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना
दिल्ली-यूपी में बढ़ी ठंड, हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी; तमिलनाडु में तूफान

नई दिल्ली: ट्रेन यात्रा के दौरान एक महिला का सूटकेस चोरी जाने के मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने कोई राहत देने से इन्कार कर दिया। आयोग का कहना है कि जब तक सामान बुक नहीं कराया जाता और उसकी रसीद जारी नहीं की जाती तब तक रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

पश्चिम बंगाल की रहने वाली ममता अग्रवाल नामक महिला 5 सितंबर 2011 को लोकमान्य तिलक शालीमार एक्सप्रेस में यात्रा कर रही थीं. शिकायत के मुताबिक, जब ट्रेन राउरकेला के नजदीक पहुंची तो कुछ शरारती तत्वों ने उनका सामान चोरी कर लिया। एक सूटकेस में बच्चों के कपड़ों के अलावा सोने की तीन चेनें, हीरे के दो अंगुठियां, एक साधारण अंगूठी समेत तीन लाख रुपये का कीमती सामान और 15 हजार रुपये नकद थे।

जिला उपभोक्ता फोरम ने महिला यात्री के चोरी गए सामान के एवज में रेलवे को 1.30 लाख रुपये अदा करने का आदेश दिया था। छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग ने इस आदेश को बरकरार रखा था। लेकिन एनसीडीआरसी ने इन आदेशों को खारिज कर दिया।

शीर्ष उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सदस्य बीसी गुप्ता वाली पीठ ने रेलवे की उस दलील को स्वीकार कर लिया कि रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 100 के मुताबिक रेलवे को किसी भी सामान के नुकसान, विध्वंस या क्षति के लिए तभी जिम्मेदार ठहराया जा सकता, जबकि उसे किसी रेल कर्मचारी ने बुक किया हो और उसकी रसीद जारी की हो।

पीठ ने कहा, 'हमने रेलवे अधिकारियों की सेवा में कोई कमी नहीं पाई। दोनों निचली फोरम द्वारा जारी आदेश कानून की दृष्टि में गलत हैं, इसलिए उन्हें खारिज किया जाता है।'

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख