काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का बड़ा झटका लगा है। दरअसल नेपाल के उप प्रधानमंत्री और वरिष्ठ मधेसी नेता उपेंद्र यादव ने अपना इस्तीफा दे दिया है। उनकी पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। बता दें कि उपेंद्र यादव के पास स्वास्थ्य मत्रालंय भी था। उन्होंने सोमवार सुबह प्रधानमंत्री प्रचंड को अपना इस्तीफा सौंपा। मधेसी नेता के करीबी सूत्रों का कहना है कि यादव के साथ साथ वन एवं पर्यावरण मंत्री दीपक कार्की ने भी इस्तीफा दिया है। कार्की भी उपेंद्र यादव की पार्टी के नेता हैं।
दो हिस्सों में बंटी उपेंद्र यादव की पार्टी
जनता समाजवादी पार्टी नेपाल (जेएसपी-नेपाल) के अध्यक्ष उपेंद्र यादव का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब उनकी पार्टी दो हिस्सों में बंट गई। जेएसपी-नेपाल के वरिष्ठ नेता अशोक राय ने जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) नाम से अपने अलग दल का गठन किया है। चुनाव आयोग द्वारा जेएसपी को मान्यता दे दी गई है। बता दें कि उपेंद्र यादव की पार्टी जेएसपी-नेपाल के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव (एचओआर) में कुल मिलाकर 12 विधायक थे। पार्टी के दो हिस्सों में बंटने के बाद अब एचओआर में उनके महज पांच विधायक रह गए हैं।
उधर, अशोक राय की पार्टी में छह विधायक और केंद्रीय समिति के 30 सदस्य शामिल हो गए हैं।
पीएम प्रचंड के पास अभी भी बहुमत
प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अभी भी बहुमत है। उनकी पार्टी को सीपीएन-यूएमएल के 77, माओवादी सेंटर के 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21, नवगठित जनता समाजवादी पार्टी के सात और सीपीएन-यूनिफाइड की 10 विधायकों का समर्थन हासिल है। बता दें कि 275 सदस्यीय एचओआर में बहुमत के लिए 138 सीटों की आवश्यकता होती है।
सरकार गिराने की कोशिशों में विपक्षी दल
पूर्व पर्यावरण मंत्री और सीपीएन माओवादी सेंटर के नेता सुनील मनंधर का कहना है कि जेएसपी-नेपाल के समर्थन वापस लेने से पीएम प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, लंबे समय के लिए सरकार की स्थिरता पर असर पड़ सकता है। ये भी खबरें हैं कि विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने की कोशिशें हो रही हैं। इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल के नेतृत्व में जेएसपी-नेपाल और सीपीएन-यूएस को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है।