लंदन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने विश्वास मत जीत लिया। उन्हीं की कंजरवेटिव पार्टी के सांसदों ने उनके नेतृत्व को चुनौती दी थी और अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। बोरिस जॉनसन को 58.8 प्रतिशत सांसदों का समर्थन मिला। कुल 211 में से 148 मत जॉनसन को हासिल हुए। हालांकि विश्वास मत पर अंतिम परिणाम को लेकर जिस बात पर जॉनसन ने जोर दिया था, वही हुआ और निर्णय उनके पक्ष में आया। संसद के 148 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। 58.8 प्रतिशत संसदों ने उनके पक्ष में और 41.2 प्रतिशत ने उनके खिलाफ वोट डाले।
जॉनसन के आलोचकों ने इसे पार्टी के नेता के रूप में उनके दीर्घकालिक भविष्य के लिए एक हानिकारक परिणाम बताया, जबकि उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें अपनी पार्टी के बहुमत का समर्थन प्राप्त है।
जॉनसन ने वोटिंग को लेकर प्रतिक्रिया में कहा, "मुझे लगता है कि यह राजनीति और देश के लिए बहुत अच्छा परिणाम है।"
जॉनसन ने कहा कि "बस इस मायने में मुझे लगता है कि यह एक ठोस परिणाम है, एक निर्णायक परिणाम है और इसका मतलब यह है कि एक सरकार के रूप में हम आगे बढ़ सकते हैं और उन चीजों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो मुझे लगता है कि वास्तव में लोगों के लिए मायने रखता है। उदाहरण के लिए 2019 में मेरे अपने संसदीय सहयोगियों की तुलना में मुझे कहीं बड़ा जनादेश मिला है।”
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक उठापटक और अटकलों का सिलसिला इसका नतीजा सामने आने के बाद थम गया है। 57 वर्षीय बोरिस जॉनसन ने अपनी पार्टी के बैकबेंचरों से पार्टीगेट घोटाले के बावजूद प्रधानमंत्री के रूप में उन पर अपना विश्वास बनाए रखने के लिए व्यक्तिगत अनुरोध किया था। प्रस्ताव पर गुप्त मतदान किया गया।
डाउनिंग स्ट्रीट ने एक बयान में कहा, "आज रात महीनों की अटकलों को खत्म करने और सरकार के लिए लोगों की प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए एक रेखा खींचने और आगे बढ़ने का मौका है।"
इसमें कहा गया है, "प्रधानमंत्री सांसदों के सामने अपनी बात रखने के अवसर का स्वागत करते हैं और उन्हें याद दिलाएंगे कि जब वे एकजुट होते हैं और मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो कोई और मजबूत राजनीतिक ताकत नहीं होती है।"
कंजरवेटिव पार्टी के मौजूदा नियमों के तहत जॉनसन अब कम से कम 12 महीनों के लिए बैकबेंच चुनौती से सुरक्षित हैं। हालांकि राजनीतिक नजरिया यह भी है कि वह किसी भी तरह से घर में सुरक्षित नहीं हैं। 23 जून को दो महत्वपूर्ण उपचुनाव होने वाले हैं और उनमें एक में भी बड़ी हार को उनके नेतृत्व के खिलाफ जनमत संग्रह के रूप में लिया जा सकता है और इस तरह असंतोष बरकरार रह सकता है।
कई मायनों में जॉनसन के नेतृत्व पर अब भी सवाल हैं क्योंकि पार्टी पर उनकी पकड़ स्पष्ट रूप से हिल चुकी है।