मॉस्को/वॉशिंगटन: अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपने युद्ध के लिए चीन के सैन्य मदद मांगी है. इन अधिकारियों के अनुसार, मॉस्को की ओर से किया गया यह असामान्य अनुरोध बताता है कि व्लादिमीर पुतिन ने इस युद्ध में उम्मीद से कहीं अधिक झटके का सामना करना पड़ा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इस नाजुक मसले की चर्चा करते हुए यह स्पष्ट नहीं किया कि मॉस्को (रूस) की ओर से अपने सबसे मजबूत रणनीतिक पार्टनर से किस तरह के उपकरणों की मदद मांगी गई है। हालांकि रूस ने साफ तौर पर कहा है कि यूक्रेन के मुद्दे पर उसने कभी चीन से सैन्य मदद नहीं मांगी है।
वहीं अमेरिकी अधिकारी ने यह स्पष्ट करने से इनकार कर दिया कि अमेरिकी प्रशासन को इस बारे में जानकारी कैसे मिली. एक अन्य अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यह अनुरोध नया नहीं है और रूस ने यह आग्रह 24 फरवरी को रूस की यू्क्रेन पर हमले के बाद किया था।
इस बीच, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने इस बारे में कमेंट से इनकार कर दिया है।
यह नया खुलासा ऐसे समय सामने आया है जब यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अमेरिका और चीन के बीच पहली उच्चस्तरीय वार्ता की योजना बन रही है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहार जैक सुलिवान सोमवार को रोम में चीन की शीर्ष दूत, कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य यांग जिएची से मुलाकात करेंगे। यह यूक्रेन संकट को खत्म करने के लिए बीजिंग पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर प्रभाव डालने के लिए जो बाइडेन प्रशासन की ओर से बनाए जा रहे दबाव का हिस्सा है। रूस के चीन तक 'पहुंच बनाने' की खबर सामने आने के पहले ही यह 'तैयारी' की गई थी। उधर, वॉशिंगटन स्थित रूसी दूतावास ने इस बारे में कोई टिप्पणी से इनकार कर दिया है।
जैसे जैसे रूस और यूक्रेन का सप्ताह तीसरे सप्ताह में पहुंचा है, पुतिन के अभियान को कुछ मुश्किलातों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा कि वर्ष 1972 में रिचर्ड निक्सन के यात्रा के बाद से चीन की विदेश नीति में सबसे बड़े बदलाव के बाद से रूसी हथियारों के आग्रह से किसी भी रूप में जुड़ना क्या राष्ट्रपति शी चिनफिंग के हित में है? वैसे शी ने यूक्रेन पर पुतिन की कार्रवाई की न तो तो निंदा और न ही समर्थन करके संतुलन को साधने की कोशिश की है।