मास्को: अभी तक भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह कहता रहा है कि अफगानिस्तान की धरती से आतंकी दूसरे देशों में प्रवेश कर सकते हैं और इस तरह का खतरा बढ़ता जा रहा है। अब रूस ने भी भारत की इस बात को माना है और तालिबान से दो टूक कहा है कि अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकियों और मादक द्रव्यों का वहां से पड़ोसी देशों में जाने का खतरा पहले से ज्यादा वास्तविक है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने यह बात मास्को में अफगानिस्तान पर आयोजित सम्मेलन में कही।
मास्को फार्मेट डायलाग की बैठक में तालिबान के प्रतिनिधियों के अलावा भारत, चीन, ईरान, पाकिस्तान समेत दूसरे देशों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। खबर लिखे जाने तक मास्को में बैठक जारी थी और भारतीय प्रतिनिधिमंडल की तरफ से इसमें क्या कहा गया, यह मालूम नहीं हो सका। लेकिन इस बैठक में शामिल होकर ही भारत ने यह संकेत दिया है कि वह अफगानिस्तान को लेकर होने वाली किसी भी अंतरराष्ट्रीय पहल में हिस्सा बनने का इच्छुक है।
भारत भी अफगानिस्तान व इससे जुड़े सुरक्षा मुद्दों पर संबंधित देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की अलग से बैठक करने की कोशिश में है। माना जा रहा है कि बुधवार को मास्को में भारतीय प्रतिनिधियों ने रूस व दूसरे देशों के साथ इस भावी बैठक के बारे में बात की है। बैठक में रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने उस सभी मुद्दों को उठाया जिसको लेकर भारत चिंता जताता रहा है।
लावरोव ने कहा कि अफगानिस्तान के जो हालात हैं उससे अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। अफगानिस्तान में मादक द्रव्यों के उत्पादन की समस्या भी खत्म नहीं हुई है। आज की तारीख में वहां से आतंकी गतिविधियों और मादक द्रव्यों के खतरे का पड़ोसी देशों में खतरा ज्यादा है। रूस खास तौर पर मध्य एशियाई देशों में इन खतरों के पहुंचने को लेकर चिंतित है।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा, हम तालिबान से अपील करते हैं कि वह अपने देश में किसी को भी अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे पड़ोसी देश के खिलाफ करने की इजाजत नहीं दे। लावरोव ने तालिबान प्रतिनिधियों से सरकार में सभी वर्गों के लोगों को प्रतिनिधित्व देने की बात भी कही। उन्होंने न सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों बल्कि दूसरी राजनीतिक विचारधारा के लोगों को भी शामिल करने की वकालत की।