लंदन/नई दिल्ली: यूके सरकार ने कहा है कि सभी देशों से कोविड-19 वैक्सीन सर्टिफिकेट को "न्यूनतम मानदंड" को पूरा करना होगा। इसके साथ ही ये भी कहा कि वह भारत के साथ अपने अंतरराष्ट्रीय यात्रा नियमों को लेकर भी काम कर रहा है। ब्रिटेन सरकार ने एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड को योग्य कोविड-19 टीकों में शामिल करने के लिए बुधवार को एक अद्यतन अंतरराष्ट्रीय यात्रा परामर्श जारी किया, लेकिन भारत को उन 18 देशों की सूची से बाहर रखा है, जिनके यहां के टीकों को स्वीकृत किया गया है। ऐसे में भारतीय नागरिकों को गैर-टीकाकरण वाले यात्रियों के लिए निर्धारित नियमों का पालन करने की जरूरत होगी। भले ही कोविशील्ड को यात्रा संबंधी ब्रिटिश दिशानिर्देशों में मंजूरी दे दी गई है। लेकिन उसकी दो खुराक ले चुके भारतीय यात्रियों को ब्रिटेन में अब भी 10 दिनों के लिए पृथक-वास में रहना होगा। ब्रिटेन के नए अंतरराष्ट्रीय यात्रा नियम चार अक्टूबर से प्रभावी होंगे।
नई दिल्ली में ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा कि मुख्य मुद्दा टीका प्रमाणन का है, न कि कोविशील्ड टीके का तथा दोनों पक्ष इस मुद्दे का परस्पर हल ढूंढने के लिए बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
ब्रिटेन द्वारा टीकों की स्वीकृत सूची में कोविशील्ड को शामिल किए जाने पर भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। ब्रिटेन के नियमों के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के टीके कोविशील्ड की दोनों खुराक लेने वाले भारतीयों को उन लोगों की तरह 10 दिन अनिवार्य रूप से पृथक-वास में रहना होगा, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है।
कोविशील्ड टीके को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय एवं दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के अनुसंधानकर्ताओं ने विकसित किया है। भारत अपने यहां टीकाकरण अभियान में कोविशील्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन टीके का व्यापक तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के टीके कोविशील्ड के स्वीकृत टीकों की सूची में शामिल नहीं करने के ब्रिटेन के फैसले की भारत में काफी आलोचना हुई है। भारत ने कोविड-19 टीका प्रमाणन पर उसकी चिंताओं का ब्रिटेन द्वारा समाधान नहीं किए जाने की स्थिति में मंगलवार को जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने इन नियमों को ‘भेदभावकारी' बताया था। एक बयान में ब्रिटेन के भारत में उच्चायुक्त एलेक्स एलीस ने कहा, “हम स्पष्ट हैं कि कोविशील्ड कोई समस्या नहीं है... हम कोविन ऐप और एनएसएस ऐप के निर्माताओं के साथ प्रमाणन के बारे में विस्तृत तकनीकी चर्चा कर रहे हैं। ये तेजी से किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों देश एक-दूसरे के द्वारा जारी किए गए टीकाकरण प्रमाणपत्रों को परस्पर मान्यता दें।” वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आरएस शर्मा ने कहा कि भारत में प्रदत्त कोविड टीका प्रमाणन पर ब्रिटेन द्वारा प्रकट की गई चिंता की उन्हें जानकारी नहीं है, हालांकि कोविन प्रणाली डब्ल्यूएचओ के अनुकूल है।
शर्मा ने कहा, ‘‘ ब्रिटेन द्वारा प्रकट की जा रही किसी चिंता से मैं वाकिफ नहीं हूं, ब्रिटिश उच्चायुक्त ने दो सितंबर को मुझसे मुलाकात की थी और उन्होंने कोविन प्रणाली की बारीकियां जाननी चाही थी।' उन्होंने मीडिया से कहा, ‘‘इसलिए हमने अपनी तकनीकी टीम को उनकी तकनीकी टीम से मिलवाया और उनके बीच दो दौर की वार्ता हो चुकी है, कल ही दूसरे दौर की बातचीत हुई। उन्होंने हमें बताया कि अब और चर्चा की जरूरत नहीं है, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच सारी सूचनाओं का आदान प्रदान हो चुका है।''
ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने बुधवार नई दिल्ली में कहा, ''हम भारत सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं और यह पता कर रहे हैं कि भारत में टीका लगवा चुके लोगों के टीका प्रमाण पत्र को किस तरह ब्रिटेन में मान्यता दी जा सकती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिटेन, यथाशीघ्र अंतरराष्ट्रीय यात्रा को बहाल करने के लिए कटिबद्ध है और यह घोषणा लोगों के सुरक्षित एवं सही तरीके से और मुक्त होकर फिर यात्रा कर पाने की दिशा में एक कदम है। साथ ही जनस्वास्थ्य की सुरक्षा का भी ध्यान रखना जरूरी है।''
एलिस ने यह भी कहा कि ब्रिटेन यात्रा के लिए खुला है और पहले से भारत से बहुत सारे लोग ब्रिटेन जा रहे हैं चाहे वह पर्यटक हों, व्यवसायी हों या छात्र हों। उन्होंने कहा कि जून 2021 तक इस साल 62,500 से अधिक छात्र वीजा जारी किए गए हैं, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि है। नया यात्रा परामर्श ऐसे समय में आया जब भारतीय यात्रियों के लिए प्रक्रिया को लेकर भ्रम की स्थिति थी। वहीं परामर्श में कहा गया है, ''एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड, एस्ट्राजेनेका वैक्सजेवरिया और मॉडर्ना टाकेडा जैसे चार टीकों को स्वीकृत टीकों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।'' इसमें कहा गया है, ''आपके लिए ब्रिटेन आने से 14 दिन पहले टीके की दोनों खुराकें लेना अनिवार्य है।''
बहरहाल, ब्रिटेन सरकार के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि भारतीय यात्रियों को ब्रिटेन के ‘गैर-टीकाकरण नियमों' का पालन करना होगा, जिसका मतलब है कि भारतीयों को प्रस्थान से तीन दिन पहले कोविड की जांच करानी होगी और इंग्लैंड पहुंचने के दो दिन बाद जांच कराने के लिए अग्रिम बुकिंग करनी होगी। इंग्लैंड पहुंचने पर यात्री को 10 दिन के लिए पृथक-वास में रहना होगा। दरअसल, ब्रिटेन की यात्रा के संबंध में फिलहाल लाल, एम्बर और हरे रंग की तीन अलग-अलग सूचियां बनाई गई हैं। कोविड-19 खतरे के अनुसार-अलग-अलग देशों को अलग अलग सूची में रखा गया है। चार अक्टूबर से सभी सूचियों को मिला दिया जाएगा और केवल लाल सूची बाकी रहेगी। लाल सूची में शामिल देशों के यात्रियों को ब्रिटेन की यात्रा पर पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा। भारत अब भी एम्बर सूची में है। इस सूची में शामिल देशों के यात्रियों को ब्रिटेन जाने पर कुछ पाबंदियों से गुजरना पड़ सकता है।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को नई दिल्ली में इस बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, “ हमें देखना होगा कि आगे क्या होता है। अगर हम संतुष्ट नहीं होते हैं तो उसी तरह के कदम उठाना हमारे अधिकार क्षेत्र के भीतर होगा।'' श्रृंगला ने कहा, ‘‘यहां मुख्य मुद्दा यह है कि एक टीका है कोविशील्ड, जो ब्रिटिश कंपनी का लाइसेंसी उत्पाद है, जिसका उत्पादन भारत में होता है और ब्रिटिश सरकार के अनुरोध पर हमने ब्रिटेन को इसकी 50 लाख खुराक भेजी है।'' इन 18 देशों की सूची में ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर और मलेशिया सहित अन्य देश शामिल हैं।