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वाशिंगटन: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्पष्ट किया है कि उनका देश कभी भी सर्वशक्तिमान होने या पूरी दुनिया में आधिपत्य जमाने की दौड़ में शामिल नहीं होगा। जिनपिंग ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सम्मेलन को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए यह बात कही। चीन का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस संबोधन के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका चीन के साथ में दुनिया में एक और शीत युद्ध नहीं चाहता है।

चिनफिंग ने नरम रुख अपनाते हुए कहा कि संवाद औऱ सहयोग से ही तमाम देशों के बीच विवादों को हल किया जा सकता है। उन्होंने दुनिया भर के देशों से टकराव या अलगाव के रास्ते से दूर रहने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र महासभा को वीडियो लिंक के जरिये संबोधित करते हुए चिनफिंग ने कहा, विश्व को शांति, विकास, समानता, न्याय, लोकतंत्र और आजादी को आगे बढ़ाने की जरूरत है। ये मानवता के समान मूल्य है और यह दुनिया को छोटे-छोटे गुटों में बाटने की कोशिश को खत्म करता है।

अमेरिका और चीन के बीच हाल ही में कई मुद्दों पर गंभीर टकराव रहा है। इसमें व्यापार, तकनीक के मुद्दे शामिल हैं। कोरोना के स्रोत को लेकर भी ट्रंप शासनकाल से ही अमेरिका और चीन के बीच जुबानी जंग चल रही है। हांगकांग में लोकतांत्रिक आंदोलन, शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप को लेकर अमेरिका चीन को कठघरे में खड़ा करता रहा है, चीन इसे आंतरिक मामलों में दखलंदाजी बताता रहा है।

दक्षिण चीन सागर और हिन्द-प्रशांत महासागर में चीनी नौसेना के बढ़ते प्रभुत्व को भी अमेरिका चुनौती देता रहा है। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच क्वॉड साझेदारी को लेकर भी चीन चिढ़ा है। दोनों देशों के बीच सार्वजनिक मंच पर भी तीखी बयानबाजी देखने को मिली है।

जिनपिंग ने कहा कि एक-दूसरे देश के प्रति सम्मान, न्याय और बराबरी की भावना से ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। इसी आधार पर वैश्विक हितों को आगे बढ़ाया जा सकता है।

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