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लंदन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने बुर्के की तरह चेहरा ढंकने वाले परिधान पर प्रतिबंध का समर्थन किया है। हालांकि वे पूरी तरह से प्रतिबंध करने के पक्ष में नहीं है। कैमरन ने कहा कि जब आप किसी संस्थान से जुड़े हैं, अदालत या सीमा जैसी किसी जगह पर हैं जहां चेहरा देखने की जरूरत हो, ऐसी स्थिति में हमेशा उचित और तार्किक नियमों के पक्ष मे रहूंगा और उन अधिकारियों के साथ रहूंगा जिन्होंने ये नियम लागू किये हैं। हालांकि कैमरन ने बुर्का और सिर पर पहने जाने वाले अन्य धार्मिक चीजों पर फ्रांस की तरह पूर्ण प्रतिबंध से इनकार कर दिया। फ्रांस में वर्ष 2010 से इस प्रकार का प्रतिबंध है।

मुस्लिम समुदाय के सदस्यों में अलगाव को रोकने के लिए अंग्रेजी भाषा की जरूरतों को कड़ी करने से जुड़ी योजनाओं को शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री कैमरन ने ब्रिटेन की नई वीजा नीति को भी मंजूरी दे दी है, जिसके तहत ढाई साल से ज्यादा वक्त से ब्रिटेन में रह रही मुस्लिम महिलाओं को अंग्रेजी के लिये परीक्षा देनी होगी। इसमें फेल होने पर उन्हें वापस उनके देश भेजा जा सकता है। एक इंटरव्यू में कैमरन ने कहा, 'नये नियमों के मुताबिक जीवनसाथी वीजा पर ब्रिटेन आने वालों के लिए अंग्रेजी बोलना जरूरी है। हम नियम को और कड़ा करने जा रहे हैं। पांच साल के स्पेशल सेटलमेंट प्रोग्राम के दौरान जो लोग वीजा की अवधि बढ़ाना चाहेंगे उन्हें ढाई साल बाद अंग्रेजी भाषा का टेस्ट देना होगा। टेस्ट में फेल होने पर उनसे ब्रिटेन में रहने का अधिकार छीना जा सकता है।' दरअसल, एक आंकड़े के मुताबिक ब्रिटेन में रह रही 1,90,000 मुस्लिम महिलाएं अंग्रेजी नहीं बोल पाती हैं। ये आंकड़ा ब्रिटेन की स्थानीय मुस्लिम आबादी का 22 फीसदी है। इसके अलावा प्रधानमंत्री कैमरन ने ऐसी महिलाओं को अंग्रेजी सिखाने पर खर्च करने के लिए तीन करोड़ अमेरिकी डॉलर के फंड का भी ऐलान किया है। मुस्लिम महिलाओं के लिए अंग्रेजी की कक्षाएं उनके घरों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर लगाई जाएंगी। कैमरन ने कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा कि अंग्रेजी नहीं आने और कट्टरवादी बनने के बीच कोई सीधा संबध है लेकिन भाषा के ज्ञान की कमी की वजह से ब्रिटेन में रहने वाले मुस्लिमों पर कट्टरवादियों का असर पड़ने का खतरा है।' मुस्लिम संगठन कैमरन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।

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