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संयुक्त राष्ट्र: कानून विशेषज्ञ नीरू चड्ढा संयुक्त राष्ट्र की न्यायिक संस्था ‘इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर लॉ ऑफ द सी’ (आईटीएलओएस) की न्यायाधीश चुनी गई हैं। वह 21 सदस्यीय अदालत में स्थान पाने वाली पहली भारतीय महिला न्यायाधीश होंगी। नीरू बुधवार को नौ साल के लिए इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर लॉ ऑफ द सी’ (आईटीएलओएस) की न्यायाधीश निर्वाचित हुईं। उन्हें एशिया प्रशांत समूह में सर्वाधिक 120 मत मिले। इस समूह से वह एकमात्र उम्मीदवार थीं, जिन्होंने मतदान के पहले चरण में ही चुनाव जीत लिया। उनके मुकाबले इंडोनेशिया के उम्मीदवार को 58, लेबनान के उम्मीदवार को 60 और थाईलैंड के उम्मीदवार को 86 मत मिले। इन सभी तीनों उम्मीदवारों ने मतदान के दूसरे चरण में प्रवेश किया जिसमें एशिया प्रशांत क्षेत्र में अन्य सीट पर थाईलैंड को जीत मिली। यहां कुल सात सीटों के लिए मतदान हुआ था। मतदान में 168 देशों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने देशों की ओर से बड़े स्तर पर मिले सहयोग के लिए आभार जताया, जिसके कारण नीरू को आईटीएलओएस के चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली। अकबरूद्दीन ने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय कानून के मामलों में भारत की वैश्विक स्थिति की प्रशंसा को दर्शाता है। यह समुद्र संबंधी कानून से जुड़े समकालीन मामलों में वार्ताकार और वकील के रूप में नीरू की विशेषज्ञ की मान्यता को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने एक बयान में कहा, आईटीएलओएस के गठन के दो दशक में नीरू इसकी दूसरी महिला न्यायाधीश होंगी।

जबकि इसके कुल 40 न्यायाधीश रहे हैं।

शानदार कैरियर

-नीरू विदेश मामलों के मंत्रालय की मुख्य कानूनी सलाहकार चुनी जाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारत की सलाहकार रह चुकी हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन स्कूल ऑफ लॉ और यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली से कानून में पीएचडी की डिग्री प्राप्त हैं।

-इटली के दो मरीनों द्वारा दो भारतीय मछुआरों के मारे जाने के मामले में आईटीएलओएस में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इनकी दलीलों के बाद न्यायाधिकरण ने इतालवी मरीनों को छोड़ने से इनकार किया था।

-भारत और बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा विवाद के मामले में हेग स्थित स्थायी पंचाट न्यायालय में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

-मार्शल द्वीप द्वारा भारत पर परमाणु होड़ समाप्त करने में विफल रहने का आरोप लगाने के मामले में भी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

-इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर लॉ ऑफ द सी 1996 में बना था, जिसका केंद्र जर्मनी के हैमबर्ग में है।

-यह 1994 में लागू हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून संधि के तहत विवाद निस्तारण का एक तंत्र है। इस समय भारत के प्रतिष्ठित न्यायविद पी चंद्रशेखर राव न्यायाधिकरण में न्यायाधीश हैं। उन्हें वर्ष 1996 में न्यायाधिकरण में चुना गया था और उनका दूसरा कार्यकाल सितंबर 2017 में समाप्त होगा।

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