संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आमूलचूल बदलाव की वकालत करते हुए कहा है कि यह वैश्विक संस्था नेतृत्व एवं ठोस कार्रवाई करने के बजाए महज आदर्श भरी बातें ही करती है। संरा में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि राजदूत तन्मय लाल ने यहां महासभा में तदर्थ कार्यकारी समूह के पुनरूद्धार के मौके पर कहा, ‘प्रभावी सुधार नहीं होने पर यूएनजीए हमारे समय की बड़ी समस्याओं का समाधान निकालने में मुख्य भूमिका नहीं निभा पाएगा। महासभा अपनी मूल जिम्मेदारियों से दूर होती गई है और केवल प्रक्रियाओं में ही उलझ कर रह रही है, वह नेतृत्व या ठोस कार्रवाई के बजाए केवल आदर्श भरी बातें करती है।’ लाल ने कहा कि महासभा वैश्विक संसद से काफी हद तक मिलती जुलती है लेकिन इसकी भूमिका और अधिकार सुरक्षा परिषद की लगातार व्यापक होती भूमिका और सक्रियता के कारण लगातार कम किए जा रहे हैं। लाल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जिस बहुपक्षवाद के सर्वोच्च रूप का प्रतिनिधित्व करता है, यह उसकी सफलता और प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए अच्छा नहीं है। लाल ने 20 फरवरी के सत्र के दौरान कहा, ‘विश्व संस्था की श्रेष्ठता को पुन: स्थापित करने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा ताकि महासभा मुख्य नीति निर्धारक संस्था बन सके।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र पर भरोसा तब तक फिर से कायम नहीं हो सकता, जब तक इसमें इस तरह सुधार नहीं किया जाए कि यह समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करे। लाल ने कहा कि हालांकि महासभा के पुनरूद्धार की प्रगति धीमी और बहुत कम है, लेकिन संरा महासचिव की चयन प्रक्रिया में हुए बदलाव उत्साहवर्धक हैं।
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