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किगाली: संसाधनों से समृद्ध अफ्रीकी महाद्वीप में अपनी पहुंच को विस्तार देने के लिए भारत यहां रवांडा में रेसीडेंट मिशन खोलेगा। हाल के वर्षों में अफ्रीकी महाद्वीप में चीनी निवेश में वृद्धि हुई है। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा, ‘हम (भारत और रवांडा) अच्छे मित्र हैं और रवांडा में भारतीयों की अच्छी आबादी है और किगाली में रेसीडेंट मिशन नहीं होने की शिकायत उचित है। इसलिए मैं आपसे यह अवश्य कहूंगा कि सरकार ने पहले ही इस मामले पर विचार किया है और आने वाले सप्ताहों या महीनों में हमारा यहां एक रेसीडेंट मिशन होगा।’ अंसारी रवांडा और युगांडा की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्होंने यहां पर अपने सम्मान में भारतवंशियों द्वारा आयोजित एक भोज में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। रवांडा में भारतीय समुदाय के लगभग 3000 लोग हैं। अंसारी ने कहा कि वे लक्ष्योन्मुख, बेहद दृढ़ और अच्छा काम करने वाले हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार रिश्ते बनाने के लिए और इसे ज्यादा महत्व देने पर काम कर रही है। इसका सबसे अहम हिस्सा यह समुदाय है। इसलिए हम इसे बनाना चाहते हैं तथा आपको थोड़ा और सहयोग देना चाहते हैं।’ सूत्रों ने कहा कि मिशन खोलने का फैसला अपने अग्रिम चरण में पहुंच चुका है और कुछ ही महीनों में इसकी मौलिक संरचना तैयार हो जाएगी। सूत्रों ने कहा, ‘दोनों ही देश यहां मिशन खोलने की बात पर सैद्धांतिक तौर पर सहमत हुए हैं और इस संबंध में तौरतरीकों पर काम किया जा रहा है।’ अंसारी ने यह भी कहा कि रवांडएयर जल्दी ही भारत में अपना संचालन शुरू कर देगी। इससे पहले रवांडा की राजधानी किगाली जाते समय संवाददाताओं को संबोधित करते हुए अंसारी ने कहा कि भारत अफ्रीका में अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिए चीन या किसी अन्य देश के साथ होड़ नहीं कर रहा।

अंसारी ने कहा, ‘हम अफ्रीका में विकास सहयोगी हैं। एक बार जब वे फैसला कर लेते हैं कि वे भारतीय विशेषज्ञता से लाभान्वित होना चाहते हैं, तब हम इन्हें सहयोग की ठोस परियोजनाओं के रूप में परिवर्तित करते हैं। अब तक का हमारा अनुभव संतोषजनक ही रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘जहां तक बाहरी देशों, खासतौर पर अफ्रीकी देशों में हमारे विकास सहयोग का सवाल है, हम चीन या किसी अन्य से प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं। उनका काम करने का अपना तरीका और अपनी क्षमताएं हैं।’ अफ्रीका में विकास संबंधी सहयोग में भारत की भूमिका पर अंसारी ने कहा, ‘हम किसी भी चीज के लिए उनपर दबाव बनाने की कोशिश नहीं करते। हम उन्हें तय करने देते हैं कि वे किन क्षेत्रों में सहयोग चाहते हैं। हम किन क्षेत्रों में सहयोग कर सकते है, यह हम पर निर्भर है। हम उन्हें तय करने देते हैं कि वे किस क्षेत्र में सहयोग पसंद करेंगे- शिक्षा में, क्षमता निर्माण में।’ भारत 1950 और 1960 के दशक में अफ्रीकी देशों का अहम सहयोगी रहा है और अब हाल के वर्षों में वह वहां पर वापस आधार हासिल करने की कोशिश कर रहा है। अफ्रीका और चीन के बीच व्यापार तेज गति से बढ़ा है। वर्ष 2000 में यह 10.5 अरब डॉलर था, वर्ष 2005 में यह 40 अरब डॉलर था और वर्ष 2011 में यह 166 अरब डॉलर हो गया। इस समय चीन अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है। वर्ष 2015 में भारत और अफ्रीका के बीच का व्यापार लगभग 75 अरब डॉलर था। इस यात्रा के महत्व को रेखांकित करते हुए अंसारी ने कहा कि यह अफ्रीकी देशों के साथ हमारे संवाद को ‘बढ़ाने’ की दिशा में भारत सरकार के ‘सचेत प्रयास’ का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘हमारे राष्ट्रपति ने तीन अफ्रीकी देशों का, प्रधानमंत्री ने चार और मैंने पांच बार अफ्रीकी देशों का दौरा किया है। अब रवांडा और युगांडा की यात्रा इसी तर्ज पर है।’

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