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संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने आशा जतायी है कि भारत और पाकिस्तान जल बंटवारे से जुड़े मुद्दे को द्विपक्षीय तरीके से हल कर लेंगे। उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के संदर्भ में आयी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सतलुज, ब्यास और रावी नदी के पानी पर भारत का हक है, और इनके पानी को पाकिस्तान में बर्बाद होने से रोका जाएगा। कल दैनिक संवाददाता सम्मेलन में बान के प्रवक्ता स्टीफेन दुजारिक से मोदी के इस बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हम लोग पानी के मुद्दे को देखेंगे। निश्चित तौर पर हमें आशा है कि यह ऐसा मुद्दा है, जिसे दोनों पक्ष आपस में सुलझा सकते हैं।’ पंजाब में पिछले सप्ताह एक जनसभा में मोदी ने कहा था कि सतलुज, ब्यास और रावी नदी के पानी पर भारत का हक है और इनके पानी को पाकिस्तान में बर्बाद होने से रोका जाएगा और वह यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत के किसान इसका सदुपयोग कर सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘अब इनके पानी का एक-एक बूंद रोका जाएगा और मैं पंजाब, जम्मू-कश्मीर और भारत के अन्य किसानों को यह पानी दूंगा। मैं इसके लिए कृतसंकल्प हूं।’ पिछले सप्ताह जल, शांति और सुरक्षा पर सुरक्षा परिषद में चर्चा के दौरान बान ने भारत और पाकिस्तान के बीच के सिंधु जल समझौते और इस तरह के अन्य समझौतों को ‘स्थिरता और शांति को बढ़ावा देने वाला साधन’ बताते हुए कहा था कि ‘साझा जल संसाधन से प्राय: सहयोग उत्पन्न’ होता है।

चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने पानी का इस्तेमाल दबाव बनाने या युद्ध के लिए करने को लेकर चेताया था।

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