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इस्लामाबाद: ने परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने की भारत की नीति को ‘अस्पष्ट’ करार देते हुए कहा कि यह प्रमाणित किये जाने योग्य हथियार नियंत्रण और संयम के उपाय का विकल्प नहीं हो सकता। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा इस सिद्धांत पर सवाल उठाये जाने के बाद पाकिस्तान का यह रख सामने आया। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय (एफओ) के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पाकिस्तान का मानना है कि ‘पहले उपयोग नहीं करने की’ अस्पष्ट नीति प्रमाणित किये जाने योग्य नहीं है और इसका कोई मतलब नहीं है। यह सामरिक संयम व्यवस्था के पाकिस्तान के प्रस्ताव के अनुसार प्रमाणित किये जाने योग्य हथियार नियंत्रण और संयम के उपाय का विकल्प नहीं हो सकता।’ वह पर्रिकर के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने पूछा था कि ‘पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति’ की पुष्टि के स्थान पर भारत यह क्यों नहीं कह सकता है कि ‘हम जवाबदेह परमाणु शक्ति हैं और गैर-जिम्मेदाराना तरीके से इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे।’ उन्होंने बाद में इस बयान को निजी बताया था। जकारिया ने कहा कि किसी देश के रक्षा मंत्री का यह बयान और लगातार तनाव बढ़ाना एवं आक्रामक रख रखना सभी के लिए चिंता की बात है। भारत-जापान परमाणु समझौते का नाम लिये बगैर उन्होंने कहा कि कुछ देशों के साथ परमाणु समझौता चिंता की बात है क्योंकि भारत क्षेत्र में और उससे इतर अक्खड़पन और आक्रामक नीति दिखलाता है।

जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान ने खुद को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए सशक्त उम्मीदवार के तौर पर स्थापित किया है क्योंकि उसके गैर-भेदभावपूर्ण रवैये के कारण उसका समर्थन करने वाले देशों की संख्या बढ़ी है। जकारिया ने कहा, ‘साथ ही इस मान्यता को बल मिल रहा है कि वर्ष 2008 में भारत को जो छूट दी गयी थी उससे ना ही अप्रसार व्यवस्था को मदद मिली है और ना ही दक्षिण एशिया में सामरिक स्थिरता के लक्ष्य को।’ प्रवक्ता ने इस बात को लेकर विश्वास जताया कि एनएसजी के सदस्य देश भविष्य में अप्रसार व्यवस्था के क्षरण को रोकने की जरूरत के मद्देनजर और नियमबद्ध संस्था के रूप में एनएसजी की विश्वसनीयता को बचाने के लिए इन चीजों को दिमाग में रखेंगे।

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