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इस्लामाबाद: आतंकी समूहों को समर्थन देकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने की पाकिस्तान की नीति पर अब उसकी संसद में ही सवाल उठने लगे हैं। पाकिस्तानी संसद की एक स्थायी समिति ने सरकार से कश्मीर में जेहादी समूहों को समर्थन बंद कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है। पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली की विदेश मामलों की समिति ने सोमवार को कश्मीर संबंधी चार पेज का नीतिगत पत्र जारी किया। इसमें कहा गया कि पाकिस्तान को कश्मीर में सशस्त्र, प्रतिबंधित आतंकी समूहों को समर्थन देने की आवाजों को प्रोत्साहित करना बंद करे। बल्कि अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आतंकी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

उल्लेखनीय है कि ऊधमपुर, पठानकोट जैसे हमलों के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई का दबाव बनाया है। खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने पाकिस्तान को सख्त लहजे में संदेश दिया है। महत्वपूर्ण बात है कि इस समिति की अध्यक्षता नवाज शरीफ की अगुआई वाली पार्टी पीएमएल-एन के सांसद ओवैस अहमद लेघारी ने की। समिति ने सीधे भारत में आतंकी हमलों की बात तो नहीं की, लेकिन कश्मीर का नाम लिया। समिति ने कहा कि कश्मीर में आतंकी हमले करने वाले गुटों के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं पर ध्यान देने की जरूरत है। पैनल ने सुझाव दिया कि पाक को भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों पर समग्र संवाद के लिए लगातार प्रयास करते रहने चाहिए। ऐसी समग्र वार्ता का माहौल न भी हो तो कश्मीर, जल, व्यापार और संस्कृति-संचार से जुड़े मुद्दों पर वार्ता जारी रखी जाए।...

समिति की सिफारिशें:-

कश्मीर को दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा बनाए रखने की वकालत की

जल बंटवारे का मुद्दा एक परियोजना की बजाय समग्रता से उठाया जाए

भारत से अनौपचारिक व्यापार में कमी और नियंत्रण लाया जाना चाहिए

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