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गुवाहाटी: तिब्बत के आध्यात्मिक गुर दलाई लामा ने बलपूर्वक धर्मांतरण की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘गलत है और समाज के लिए अच्छा नहीं है।’ असम सरकार द्वारा आयोजित ‘नमामि ब्रह्मपुत्र’ नदी महोत्सव के दौरान दलाई लामा ने कहा, ‘‘बलपूर्वक धर्मांतरण गलत है क्योंकि बुनियादी रूप से किसी को भी कोई धर्म चुनने और किसी भी धर्म को स्वीकार करने की पूरी आजादी है।’’ उन्होंने कहा कि पारम्परिक धर्म को मानना ही बेहतर होता है क्योंकि धर्म परिवर्तन से ‘भ्रम की स्थिति पैदा होती है’ लेकिन अगर कोई व्यक्ति धर्मांतरण करता है तो ऐसा स्वैच्छिक रूप से किया जाना चाहिए ना कि बलपूर्वक क्योंकि ‘यह अच्छा नहीं होता और ऐसा नहीं होना चाहिए।’ दलाई लामा ने कहा कि अन्य परंपराओं, उनके मूल्यों के अध्ययन के जरिये ही धार्मिक सद्भाव, आपसी समझ और दूसरों के लिए सम्मान को सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जब तिब्बत में था, तो मेरी सोच थी कि बौध धर्म सबसे अच्छा है लेकिन भारत आने के बाद जब मैं हिन्दुओं, मुसलमानों, यहूदियों, ईसाइयों, पारसियों और अन्य मत रखने वालों से मिला तो मुझे महसूस हुआ कि हर परंपरा में ऐसे मूल्य हैं, जिन्हें विश्व शांति के लिए बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है।

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