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लखनऊ: मथुरा के जवाहर बाग इलाके में अतिक्रमणकारियों और पुलिस बल के बीच हुई हिंसक झड़प के मामले में प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिये गये हैं और उपद्रवियों के नेता रामवृक्ष यादव पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने का ऐलान किया गया है। झड़प में शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को 20-20 लाख का रुपये के मुआवजे का ऐलान किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मथुरा हिंसा पर अखिलेश यादव से बातचीत की है और हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। वहीं मथुरा से सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी अपने ट्वीट्स को लेकर विवादों में रहीं। शुक्रवार को घटना पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उत्तर प्रदेश के डीजीपी जावीद अहमद ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि अतिक्रमण स्थल पर पुलिस केवल निरीक्षण के लिए गई थी और इसी दौरान अचानक उस पर हमला कर दिया गया। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों को बहुत बेरहमी से मारा-पीटा गया। मामले में जानकारी मिलने तक कुल 368 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अहमद ने बताया- 'झोपड़ियों में गैस सिलेंडर और बम भी रखे गए थे। घटनास्थल से अभी तक 47 कट्टे, 6 राइफलें, 178 जिंदा कारतूस समेत कई बाइक्स भी बरामद की गई है। उपद्रवियों ने पुलिस पर देसी बम फेंके। अतिक्रमण वाले जवाहरबाग को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है।' डीएम राजेश कुमार ने बताया कि कार्यकर्ताओं का नेता राम वृक्ष यादव और समूह का सुरक्षा अधिकारी चंदन गौर वहां से अपने हजारों समर्थकों के साथ भाग गया।

कुर्सी (बाराबंकी): उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मथुरा के जवाहरबाग में अतिक्रमणकारियों और पुलिस बल के बीच हुए खूनी संघर्ष के लिए सूबे के प्रशासन और खुफिया तंत्र की ‘चूक’ स्वीकार करते हुए कहा कि पुलिस को हमलावरों की तैयारियों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं थी। विभिन्न विकास योजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मथुरा में हुई वारदात पर दुख जाहिर करते हुए कहा ‘यह एक चूक है। मैं समझता हूं कि पुलिस को पूरी तैयारी और बातचीत के साथ वहां जाना चाहिए था, लेकिन जानकारी में नहीं था कि उनके (कब्जा करने वाले) पास इतना कुछ होगा।’ उन्होंने कहा कि कथित सत्याग्रही लोग सरकार की जमीन पर बैठे थे। उनसे कई बार बातचीत भी हुई थी, बावजूद इसके वे नहीं हटे। गौरतलब है कि मथुरा में उद्यान विभाग की संपत्ति जवाहर बाग पर वर्ष 2014 से अवैध रूप से काबिज कथित सत्याग्रहियों को अदालत के आदेश पर गुरुवार शाम हटाने पहुंचे पुलिस और प्रशासनिक दल पर बमों और बंदूकों से हमला किया गया था। इस वारदात में पुलिस अधीक्षक (नगर) मुकुल द्विवेदी और थानाध्यक्ष संतोष यादव की भी मौत हो गयी जबकि 22 उपद्रवी भी मारे गये। कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती देती जवाहरबाग की घटना के बाद सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। उनका कहना है कि सरकार ने वर्ष 2014 में कथित सत्याग्रहियों को जवाहरबाग पर कब्जा ही क्यों करने दिया।

मथुरा: उत्तर प्रदेश के डीजीपी जावीद अहमद ने मथुरा में भीषण हिंसक संघर्ष का मौका मुआयना करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अभी तक एसपी और एसचओ समेत 22 लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग घायल हैं। डीजीपी ने कहा कि अतिक्रमण स्थल पर पुलिस केवल निरीक्षण के लिए गई थी और इसी दौरान अचानक उस पर हमला कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी अहमद ने बताया कि मथुरा में बहुत ही बेरहमी से पुलिसकर्मियों को मारा-पीटा गया। गिरफ्तार उपद्रवियों पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। अभी तक कुल 124 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है। उपद्रवियों के प्रमुख नेता रामवृक्ष यादव पर भी रासुका लगेगा। अहमद ने बताया कि झोपड़ियों में गैस सिलेंडर और बम तक रखे गए थे। घटनास्थल से अभी तक 47 कट्टे, 6 राइफलें, 178 जिंदा कारतूस समेत कई बाइक्स भी बरामद की गई है। पुलिस की ओर से कुल 23 जवान घायल हुए हैं। डीजीपी ने बताया कि उपद्रवियों ने पुलिस पर देसी बम फेंके। 23 पुलिसकर्मी अस्पताल में भर्ती हैं और एसपी व एसएचओ समेत अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। उपद्रवियों में से 22 लोगों की मौत हुई है। अहमद ने बताया कि अतिक्रमण वाले जवाहरबाग को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है।

मथुरा (जनादेश ब्यूरो): जवाहरबाग में आग लपटें शांत होने के बाद आज (शुक्रवार)  वहां लाशें खोजने का सिलसिला जारी है। एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ (फरह) संतोष यादव की शहदत से न सिर्फ पुलिस बल्कि आम लोगों की आंखें भी नम हैं। दोनों पुलिस अधिकारियों समेत करीब 27 लोगों के मरने की खबर है। कब्जाधारियों का नेता रामवृक्ष यादव भी गायब है। उसके मरने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। डीजीपी जावीद अहमद, प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पांडा और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर दलजीत चौधरी ने मथुरा में डेरा डाल दिया है। इस प्रकरण में चूक कहां हुई, इस पर गुपचुप चर्चा चल रही है, मगर कोई अधिकारी खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। जिला मुख्यालय से सटे जवाहरबाग पर कब्जाधारियों का कब्जा था। जमीन को खाली कराने के हाईकोर्ट के आदेश थे। पुलिस प्रशासन लंबे समय से प्लानिंग में जुटा हुआ था कि जमीन कैसे खाली कराई जानी है। चार जून को जवाहरबाग पर चढ़ाई की योजना थी। पुलिस अंदर कैसे प्रवेश करेगी। इस पर भी विचारा हुआ था। रिहर्सल को गुरुवार को एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी पुलिस और पीएसी के साथ जवाहरबाग गए थे। कई जगह से दीवार तोड़ने की योजना थी, ताकि जब चढ़ाई हो तो रास्ता खोजना न पड़े। उपद्रवी पहले से तैयारी में थे। पुलिस के पहुंचते ही फायरिंग शुरू कर दी। बम फोड़ने लगे। आग लगा दी। गैस सिलेंडर और बारूद में विस्फोट से जवाहरबाग आग का गोला बन गया।

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