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लखनऊ: चुनाव आयोग ने यूपी बोर्ड 2017 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा की तिथियां घोषित करने के कुछ घंटे बाद ही इस फैसले पर रोक लगा दी। आयोग माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा बिना अनुमति के परीक्षा कार्यक्रम घोषित किए जाने से नाराज है। आयोग ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों को शुक्रवार को दिल्ली तलब किया है। साथ ही मुख्य सचिव राहुल भटनागर को पत्र लिख आपत्ति जताई गई। इसे प्रदेश में चुनाव की आहट भी माना जा रहा है। दरअसल, कुछ सियासी दल प्रदेश में विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च या फिर अप्रैल-मई में होने की बयानबाजी करते रहे हैं। माना जा रहा है कि शुक्रवार को आयोग से विचार-विमर्श के बाद ही बोर्ड परीक्षा की नई तिथियां घोषित की जाएंगी। दरअसल, यूपी बोर्ड ने गुरुवार दोपहर बाद परीक्षा की तिथियों की घोषणा कर दी। यूपी बोर्ड की सचिव शैल यादव ने बोर्ड परीक्षा की तारीखों की घोषणा करते हुए बताया कि 10वीं की परीक्षा 16 फरवरी से 6 मार्च तक और इंटरमीडिएट की परीक्षा 16 फरवरी से 20 मार्च तक कराई जाएंगी। हाईस्कूल की परीक्षाएं 15 कार्यदिवसों और इंटर की परीक्षाएं 25 कार्यदिवसों में कराई जाएंगी। इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षाएं 22 दिसंबर से शुरू हो रही है। इसके बाद चुनाव आयोग ने आपत्ति दर्ज की कि बिना आयोग की अनुमति के यूपी बोर्ड ने परीक्षा की तारीखें कैसे घोषित कर दीं ? चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा और सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी. वेंकटेश को कार्यालय बुलाकर उनसे बातचीत की।

लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज (गुरूवार) यहां लोक भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में ईपीओएस योजना का शुभारम्भ करते हुए कहा कि इससे खाद्यान्न वितरण व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में बहुत मदद मिलेगी। राज्य सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को चुस्त-दुरुस्त, पारदर्शी और उपभोक्ताओं के हित में बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। इस कार्यक्रम में शिरकत करने आए टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रतन टाटा का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि आज से लगभग एक साल पहले प्रदेश सरकार और टाटा ट्रस्ट्स के बीच विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, स्वास्थ्य, न्यूट्रिशन, शिक्षा, माइग्रेण्ट लेबर आदि में साथ मिलकर काम करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। ईपीओएस योजना इसी के अन्तर्गत टाटा ट्रस्ट्स के सहयोग से लागू की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में टाटा का नाम भरोसे का दूसरा नाम है, जो सदियों की ईमानदार मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा कि इस समझौते में शामिल योजनाओं को लागू करने में टाटा ट्रस्ट्स ने बहुत सहयोग किया है। आम लोगों को पीडीएस से सम्बन्धित दिक्कतों से निजात दिलाने में यह योजना बेहद कारगर साबित होगी। पहले चरण में टाटा ट्रस्ट्स की सहायता से लखनऊ शहर में 675 राशन की दुकानों पर ईपीओएस मशीनें लगायी गयीं, जिनसे वितरण का कार्य किया जा रहा है। आगे प्रदेश के शहरी इलाकों की 1500 राशन की दुकानों, जिनमें हर जिले के कुछ टाउन एरिया के साथ ग्रामीण इलाके भी शामिल हैं, में भी इनके माध्यम से वितरण का कार्य किया जाएगा।

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के साथ क्रूरता है। कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक असंवैधानिक और महिला अधिकारों के खिलाफ है। यह समाज और देश के हित में नहीं है। हालांकि मुस्लिम समुदाय के सभी वर्ग तीन तलाक को मान्यता नहीं देते किंतु एक बड़ा मुस्लिम समाज तीन तलाक स्वीकार कर रहा है। यह न केवल संविधान के समानता एवं भेदभाव विहीन समाज के मूल अधिकारों के विपरीत है वरना भारत के एक राष्ट्र होने में बाधक है। वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद बरेलवी उलेमा ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। कोर्ट ने कहा है कि पवित्र कुरान में पति पत्नी के बीच सुलह के सारे प्रयास विफल होने की दशा में ही तलाक या खुला का नियम है, किंतु कुछ लोग कुरान की मनमानी व्याख्या करते हैं। पर्सनल लॉ संविधान द्वारा प्रदत्त वैयक्तिक अधिकारों के ऊपर नहीं हो सकता। हालांकि शादी व तलाक की वैधता पर कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया। किंतु 23 साल की लड़की से 53 साल की उम्र में शादी की इच्छा रखने वाले पुरुष द्वारा दो बच्चों की मां को तलाक देने को सही नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि दूसरी शादी के लिए पहली पत्नी को तीन तलाक देकर हाईकोर्ट से सुरक्षा की गुहार नहीं की जा सकती। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए नवविवाहिता पति-पत्नी की सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी।

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली एक याचिका आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की एकल पीठ ने मोदी के वकील द्वारा उठायी गई प्रारंभिक आपत्ति स्वीकार की और कांग्रेस विधायक अजय राय की याचिका खारिज कर दी। अजय राय 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट पर मोदी से हार गए थे। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘याचिका को विचारणीय बनाने के लिए कोई भी सामग्री रिकार्ड में नहीं रखी गई।’’ अदालत का मानना था कि याचिका में ‘‘पर्याप्त दलीलें नहीं हैं।’’ अदालत ने साथ ही मोदी के प्रचार पर हुए खर्च को अनुमेय सीमा से अधिक होने के राय के आरोपों को ‘‘अस्पष्ट और बगैर स्पष्टीकरण वाला मीडिया की खबरों पर आधारित’’ करार दिया।

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