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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि सन् 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज़ों की सरकार ने व्यापारी ईस्ट इण्डिया कंपनी से सत्ता अपने हाथ में ले ली थी और आज की भाजपा सरकार अपनी सत्ता व्यापारियों के हाथ में दे रही है। क्या यही है भाजपा की ‘संकल्प से सिद्धि‘ की व्याख्या जहां काम किसी के हाथ में और लगाम किसी के हाथ में।

अखिलेश यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि केन्द्र सरकार काले कृषि कानून लाकर किसानों को लूटने का प्रबन्ध कर चुकी है। उसकी नीतियों से, किसानों को बदनाम करने के प्रपंचों से लोग बहुत आहत हैं। भाजपा ने खरबपतियों को ही फायदा पहुंचाने वाले नियम बनाए हैं।

समाजवादी सरकार के समय ही ललितपुर, झांसी, महोबा, बांदा में बनी मण्डियां भाजपा सरकार के समय में शुरू तक नहीं हो पाई। मंडियों के बिना फसलों का उचित मूल्य तो दूर न्यूनतम मूल्य मिलना भी सम्भव नहीं। भाजपा काल में पुरानी कहावत ‘न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी‘ का नया रूप आ गया है ‘न रहेगी मण्डी और नहीं मिलेगी एमएसपी...। 

जब किसान अंग्रेजों के जबरन लगाए गए लगान के खिलाफ लड़ाई लड़ते थे तो उन पर जुल्म ढाए जाते थे। आज जब किसान  काले कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं तो उन्हें भी प्रताड़ित किया जा रहा है। भाजपा और उनकी सरकारें लोकतंत्र का गला घोंट रही है। भाजपा सरकार में तनिक भी लोकतांत्रिक मर्यादा और संविधान के प्रति आस्था हो तो उसे अपने कृषि कानून वापस ले लेने चाहिए।

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