लखनऊ: हाथरस केस में जहां एक तरफ सियासत तेज है वहीं जांच एजेंसियां में भी तेजी है। रविवार को एक फिर एसआईटी टीम हाथरस पहुंची है। टीम हाथरस पीड़िता के घर पर परिवारवालों का बयान रिकॉर्ड किया है। इससे पहले घटना के बाद एसआईटी टीम मौक पर पहुंची थी। टीम ने कई बिन्दुओं पर जांच की थी और अपनी पहली जांच रिपोर्ट सीएम योगी को सौंपी थी। इसके बाद योगी सरकार ने मामले में पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई थी।
14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा क्षेत्र में 19 वर्षीय एक दलित युवती से कथित रूप से बलात्कार किया गया था। वारदात के दौरान गला दबाए जाने से उसकी जबान भी कट गई थी। लड़की को पहले अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था जहां गत मंगलवार को उसकी मौत हो गई। मौत के बाद रात में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
परिजनों ने आरोप लगाया कि हमें अंतिम समय में अपनी बच्ची को देखने नहीं दिया गया और प्रशासन ने पुलिसिया पहरेदारी में रात 2.30 बजे अंतिम संस्कार कर दिया। इसके बाद जगह-जगह प्रदर्शन शुरू हो गया।
इसके बाद सरकार ने मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी। शुक्रवार की शाम चार बजे तीन सदस्यीय एसआईटी ने मामले में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। शुरुआती जांच में लापरवाही पाए जाने यूपी सरकार ने हाथरस के एसपी व चार अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
मामले में सीबीआई जांच
हाथरस को लेकर सियासत और हंगामे के बीच शनिवाार को योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाथरस कांड में सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सीएम योगी के आदेश के बाद सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है। दलित युवती के साथ गैंगरेप और उसके बाद हुई उसकी मौत के मामले की जांच पहले से ही एसआईटी कर रही है। राज्य सरकार ने इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का फैसला लिया था। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद राज्य सरकार ने अब इस केस को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है।