नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद के एवज में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का नाम अब बाबरी मस्जिद नहीं होगा। यह जानकारी मस्जिद के लिए बने ट्रस्ट ने दी है। मस्जिद के अलावा उस जमीन पर क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर भी बनाया जाएगा। मस्जिद के लिए बने ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अथर हुसैन ने कहा कि मस्जिद का नाम मायने नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि जहां तक मस्जिद की बात होती है वो खुदा का घर होता है, ऐसे में उसका नाम किसी राजा के नाम पर हो या रंक के नाम पर, यह मायने नहीं रखता है। यहां लोग इबादत करने आएंगे ऐसे में उनकी आत्मा और इबादत के प्रति उनकी पवित्रता मायने रखती है।
सरकार ने बाबरी मस्जिद की 5 एकड़ की जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी है। उनके आस-पास कई गांवों नें बड़ी तादात में मुस्लिम रहते हैं और कई मस्जिदें भी हैं। ट्रस्ट चाहता है कि यहां एक रिसर्च सेंटर बने। जहां भारत में मुसलमानों के इतिहास और भारतीय संस्कृति में उनकी हिस्सेदारी पर रिसर्च हो। साथ ही लाइब्रेरी और म्यूजियम भी बनाया जाएगा ताकि अन्य पहलुओं को भी उजागर किया जा सके।
अथर हुसैन कहते हैं कि ट्रस्ट यह भी चाहता है कि दो वर्गों के बीच इस मामले को लेकर जो जख्म लगे हैं वो अब भरे जाएं और अयोध्या में एक बेहतर माहौल बनाया जाए। उन्होंने बताया कि इसलिए यहां पर एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल भी बनाने का फैसला किया गया है जोकि हर वर्ग के लिए होगा। यह तय हुआ है कि जो भी वहां बनेगा, उसके साथ एक बड़ा अस्पताल बनेगा दो पूरे फैजाबाद अयोध्या के लोगों की देखभाल कर सकेगा। एक लंबे आंदोलन के दौरान बाबर का नाम लोगों की नफरत का हिस्सा रहा, इसलिए उसे मस्जिद से नहीं जोड़ा जा रहा है। अच्छी बात ये है कि इस जगह का इस्तेमाल इबादत के अवाला तामील और रिसर्च के लिए भी हो सकेगा।