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वाराणसी: सोनभद्र जिले में घोरावल कोतवाली क्षेत्र के उभ्भा गांव में जमीन विवाद में गत बुधवार, 17 जुलाई को मारे गए दस लोगों के परिजनों से मिलने जा रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को रोका गया था। 24 घंटे बीतने के बाद भी प्रियंका गांधी अपनी जिद पर कायम हैं और चुनार किले में पेड़ के नीचे धरने पर बैठी हैं। इसी दौरान प्रियंका से मिलने आए मृतकों के रिश्तेदारों को पुलिस ने किले के नीचे ही रोक दिया। साथ ही प्रियंका गांधी को भी उनसे नहीं मिलने दिया गया। इस बात पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़प भी हुई।

प्रियंका गांधी ने पूरी रात चुनार में ही गुजारी और शनिवार सुबह 10.15 बजे बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं से मिलीं। इस दौरान प्रियंका गांधी ने पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि मैं तब तक यहां से नहीं जाउंगी जब तक मैं सोनभद्र में खूनी संघर्ष में मारे गए आदिवासियों के परिवार से नहीं मिल लूंगी।

वहीं तृणमूल कांग्रेस के चार सदस्यीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को वाराणसी पुलिस ने वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर रोक दिया। यह प्रतिनिधिमंडल सोनभद्र में पीड़ितों के परिजनों से मिलने जा रहा था।

इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पार्टी के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन कर रहे हैं। उधर, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल भी आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मिलने के लिए यूपी के चुनार जाएंगे।

शुक्रवार को पहुंचीं प्रियंका को नरायणपुर से पहले रामनगर में टेंगरा मोड़ पर ही रोकने की तैयारी थी। इसके मद्देनजर उनके आगमन से लगभग डेढ़ घंटे पहले ही डीएम सुरेंद्र सिंह और एसएसपी आनंद कुलकर्णी भारी पुलिस बल के साथ बीएचयू ट्रोमा सेंटर पहुंच गए थे। टेंगरा मोड़ पर प्रियंका का काफिला रोकने में सफलता नहीं मिली तो तीन एडिशनल एसपी, पांच सीओ और 12 थानेदारों के अलावा पुलिस लाइन से आई फोर्स ने नरायणपुर चौकी के सामने मिर्जापुर पुलिस के साथ नाकाबंदी की

। प्रियंका का काफिला नरायणपुर पुलिस चौकी के सामने पहुंचा तो भारी पुलिस बल और बैरिकेडिंग देखकर एसपीजी के अधिकारियों ने उनका वाहन रोक दिया। इसके साथ ही एसपीजी के अधिकारियों ने अपने हेडक्वार्टर को प्रियंका को रोके जाने की जानकारी दी। आगे बढ़ने से रोके जाने पर प्रियंका सड़क पर धरने पर बैठ गईं तो एसपीजी ने उन्हें घेर लिया। प्रियंका तीखी धूप में भी करीब एक घंटे तक सड़क पर ही बैठी रहीं।

इस दौरान वाराणसी से सोनभद्र मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद रही। लगभग एक घंटे बाद प्रियंका अपने वाहन में सवार होकर फिर आगे बढ़ीं तो पुलिस ने दोबारा घेरेबंदी की और कांग्रेस नेताओं को सड़क पर से जबरन उठाकर नरायणपुर चौकी ले जाया गया। इसके बाद प्रियंका को उनके वाहन से उतार कर एसडीएम चुनार की गाड़ी में बैठाया गया और पुलिस अभिरक्षा में चुनार गेस्ट हाउस भेज दिया गया।

प्रियंका को हिरासत में लेने की सूचना के बाद पहुंचे कार्यकर्ता

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पुलिस हिरासत में चुनार किले में लाए जाने के बाद से ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दबाव पुलिस और प्रशासन पर बढ़ने लगा। इसे ध्यान में रखते हुए अधिकारी उन्हें वापस वाराणसी भेजने के लिए मनाते रहे पर प्रियंका सोनभद्र जाने की जिद पर अड़ी रहीं। उनका कहना था कि अगर सोनभद्र नहीं जाने दिया गया तो वह रात में चुनार किले में ही रहेंगीं। प्रियंका को हिरासत में लिए जाने की सूचना पर वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र के कार्यकर्ता चुनार किले पहुंचने लगे। शाम पांच बजे तक किले के बाहर करीब तीन सौ से ज्यादा की भीड़ लग गई थी।

शाम पांच बजे डीएम अनुराग पटेल और एसपी अवधेश कुमार पांडेय ने प्रियंका गांधी से वाराणसी जाने का अनुरोध किया। इस पर उन्होंने कहा कि वह जाएंगी तो सोनभद्र, नहीं तो पूरी रात चुनार किले में ही गुजारेंगीं।

इससे पहले प्रियंका गांधी का काफिला दिन में करीब 11 बजे वाराणसी से नारायणपुर पुलिस चौकी के पास पहुंचा तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। उन्होंने पुलिस वालों से पूछा कि किसके आदेश पर और क्यों रोका गया गया है? उन्होंने रोके जाने संबंधी लिखित आदेश की कॉपी भी मांगी। लेकिन आदेश न दिखा पाने पर वह चौकी के सामने ही धरने पर बैठ गईं थीं। मैंने इनसे मेरे वकीलों के मुताबिक मेरी गिरफ़्तारी हर तरह से गैर-क़ानूनी है। मुझे इन्होंने सरकार का संदेश दिया है कि मैं पीड़ित परिजनों से नहीं मिल सकती। करीब एक घंटे बाद प्रशासन ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

उनके साथ वाराणसी के पूर्व विधायक अजय राय, ललितेशपति त्रिपाठी भी धरने पर बैठे। प्रियंका गांधी डीएम और एसएसपी वाराणसी से भी रोके जाने संबंधी लिखित आदेश दिखाने को कह रही थीं। बाद में एसडीएम चुनार प्रियंका गांधी को अपनी गाड़ी से चुनार किले के गेस्ट हाउस ले गए।

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