वाराणसी: वाराणसी संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतरे पीएम मोदी समेत सभी प्रत्याशियों की और से किये गए खर्च का ब्योरा बुधवार को सामने आ गया। हर प्रत्याशी को इस बार 70 लाख रुपये तक खर्च करने की छूट थी। लेकिन खर्च के मामले में पीएम मोदी समेत कोई भी प्रत्याशी इसके आसपास तक नहीं पहुंच सका है। पीएम मोदी ने 23 मई रिजल्ट वाले दिन तक 49 लाख 26 हजार 878 रुपये खर्च किये। यह पिछले चुनाव में हुए खर्च से करीब 12 लाख रुपये ज्यादा है। पिछले चुनाव में पीएम मोदी ने 37.62 लाख रुपये खर्च किये थे।
पीएम मोदी ने इस बार नामांकन के बाद वाराणसी मेंं किसी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया। जबकि पिछली बार कई कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इससे पहले 16 मई को पीएम मोदी की तरफ से 14 मई तक का खर्च का ब्योरा सौंपा गया था। उस समय 24 लाख 38 हज़ार रुपये खर्च हुए थे। सर्किट हाउस में प्रेक्षक रविकांत गुप्ता के सामने आंकड़ों को प्रस्तुत किया गया। कांग्रेस के अजय राय ने पिछले चुनाव से भी कम खर्च किया। अजय राय ने इस बार 45 लाख 07 हजार 284 रुपये खर्च किये। पिछले लोकसभा चुनाव में अजय राय ने 54.45 लाख रुपये खर्च किए थे।
गठबंधन उम्मीदवार शालिनी यादव ने 26 लाख 82 हजार रुपये खर्च किये। इससे पहले 6 मई, 11 मई और 16 मई को भी प्रत्याशियों ने खर्च का ब्यौरा सौंपा था। 16 मई को दिए खर्च के ब्योरे के अनुसार अजय राय ने 25 लाख 878 हजार और शालिनी यादव ने नौ लाख 71 हज़ार रुपये खर्च किये थे। पीएम मोदी, अजय राय और शालिनी तीनों प्रत्याशियों का सबसे ज्यादा खर्च नुक्कड़ सभाओं और वाहनों पर हुआ है।
ऐसे भी उम्मीदवार, जिन्होंने एक रुपये खर्च नहीं किये
वाराणसी में 26 प्रत्याशियों में एक प्रत्याशी महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी व पूर्व सैनिक मनोहर आनंद राव पाटिल ने चुनाव प्रचार में एक रुपये भी खर्च नहीं किये। नंगे पैर पैदल प्रचार किया। मंदिरों में रहे और अपने घर से लाया सत्तू खाकर निर्वाह किया। जिला कोषाधिकारी शिवराम ने बताया कि सभी 26 प्रत्याशियों ने अपने खर्च का ब्यौरा सौंप दिया है। जल्द ही ये आंकड़े चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। उल्लेखनीय है वाराणसी संसदीय सीट से 26 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे।
सामान्यतः इन मदों में होता है खर्च
चुनाव के दौरान हर प्रत्याशी को प्रतिदिन वाहनों के डीजल, पेट्रोल, बैनर, होर्डिंग्स, पर्चे, अन्य प्रचार सामग्री, वाहन किराया, टीवी और अखवारों में मार्केटिंग, सभाअों में लगने वाली कुर्सी, टेंट, पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं के चाय, खाने-पीने का खर्च बताना होता है। इस बार से फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर प्रचार हो रहा है।