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शामली: आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि जब ऊंच-नीच, जात-पात का भेदभाव खत्म हो जाएगा, तब देश मजबूत-शक्तिशाली बनेगा और विश्व गुरु भी बन जाएगा। भागवत ने कैराना रोड स्थित सिल्वर बैल्स स्कूल में आयोजित शिक्षा संघ वर्ग के द्वितीय वर्ष के प्रशिक्षण शिविर में तीसरे दिन शुक्रवार को बौद्धिक सत्र में सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाया।

शिविर के दौरान मोहन भागवत ने शाम चार बजे शिक्षार्थियों के बौद्धिक सत्र में उन्होंने कहा कि स्वयं सेवक विषम परिस्थितियों में भी खुद को व्यवस्थित रखता है। समाज में फैली बुराइयों खत्म करने का निरंतर प्रयास करता है। स्वयं सेवक को हर रोज संघ शाखा में आना चाहिए। इससे राष्ट्रभक्ति, नैतिक, चारित्रिक, समरसता, अनुशासन जैसे अनेक गुणों का निर्माण होता है। वह संघ के उद्देश्य के बारे में भी लोगों को बताएं। स्वयंसेवकत्व ही संघ का समन्वय आधार है और इसे हमेशा याद रखना चाहिए। भारत हमारी माता है। भारत को मातृत्व मानने वाले सभी भाई-भाई हुए तो फिर बैर क्यों रखते हैं?

उन्होंने कहा, अच्छा और गुणवान बनने के लिए शिक्षा और संस्कार उत्तम होने चाहिए। हम सबको सशक्त भारत देखना है तो कुछ संकल्प करने होंगे और उनका पालन भी करना होगा।

शिक्षार्थियों और संघ प्रमुख के बीच सवाल-जवाब

संघ प्रमुख मोहन राव भावगत ने बौद्धिक संत्र के दौरान शिक्षार्थियों को प्रश्न पूछने का भी अवसर दिया। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा कि यदि किसी को कोई प्रश्न पूछना है तो वह पूछ सकता है। इस पर कुछ स्वयंसेवकों ने समरसता एवं देश की अन्य कई समस्याओं पर प्रश्न किए। संघ प्रमुख ने उन सभी के सवालों का जवाब दिया। साथ कहा कि स्वयंसेवक के जीवन में अनुशासन बेहद महत्व है। समाज के लोग भी अनुशासित आचरण से प्रेरणा लेते हैं।

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