लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश के साथ दोबारा हाथ मिलाने के संकेत दिए हैं। हालांकि, उन्होंने इसको लेकर एक शर्त रखी है। उनका कहना है कि अगर सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों में सफल होते हैं तो हम फिर साथ आएंगे। इसके साथ ही मायावती ने कहा, 'जब से सपा-बसपा का गठबंधन हुआ है, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने मुझे बहुत सम्मान दिया। मैंने भी राष्ट्र के हित में हमारे सभी मतभेदों को भूला दिया था और उन्हें सम्मान दिया। हमारा संबंध केवल राजनीति के लिए नहीं है, यह हमेशा के लिए जारी रहेगा।'
इसके साथ ही मायावती ने कहा कि मैंने भी उन्हें परिवार का सदस्य माना है। हमारे ये रिश्ते केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं बने हैं, बल्कि ये रिश्ते आगे भी हर सुख दुख की घड़ी में हमेशा ऐसे ही बने रहेंगे। ये रिश्ते कभी भी खत्म नहीं होने वाले हैं। ऐसी मेरी तरफ से पूरी पूरी कोशिश रहेगी। साथ ही उन्होंने कहा, 'हम राजनीतिक मजबूरियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा, यूपी में लोकसभा चुनाव के नतीजों में, समाजवादी पार्टी का मुख्य वोट 'यादव' समुदाय ने ही पार्टी का समर्थन नहीं किया। यहां तक कि सपा के मजबूत दावेदार भी हार गए।' इसके साथ ही मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी को अपने काफी कुछ लोगों में सुधार लाने की जरूरत है।
अखिलेश यादव के साथ दोबारा से हाथ मिलाने का संकेत देते हुए मावायती ने कहा, 'सपा और बसपा स्थाई तौर पर अलग-अलग नहीं हुए हैं। यदि हम भविष्य में महसूस करते हैं कि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्य में सफल होते हैं, तो हम फिर से एक साथ काम करेंगे। लेकिन अगर वह सफल नहीं होते हैं, तो हमारे लिए अलग से काम करना अच्छा रहेगा। इसलिए हमने अकेले उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है।"
सोमवार को बीएसपीकी अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर क्षेाभ व्यक्त करते हुये पार्टी के पदाधिकारियों से ‘गठबंधनों’ पर निर्भर रहने के बजाय अपना संगठन मजबूत करने का निर्देश दिया था। मायावती ने आगामी उपचुनाव भी बसपा द्वारा अपने बलबूते लड़ने की बात कह कर भविष्य में गठबंधन नहीं करने का संकेत दिया थे। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम में ईवीएम की भूमिका पर भी सवाल उठाया है।