नई दिल्ली/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में दो चरण का चुनाव हो चुका है। यहां अभी भी पांच चरणों का चुनाव बाकी है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार में मंत्री और अमेठी से पार्टी के उम्मीदवार गायत्री प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये हैं। कोर्ट ने ने गैंगरेप और यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं कोर्ट ने इस मुद्दे पर यूपी सरकार से आठ हफ्तों के भीतर जवाब भी मांगा है। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार गायत्री प्रजापति के खिलाफ अब गैंगरेप का केस दर्ज होगा। उत्तर प्रदेश में जारी विधानसभा चुनावों के दौर के बीच सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल, गायत्री प्रजापति पर एक महिला के साथ लंबे समय तक यौन शोषण करने का आरोप है। बताया जाता है कि पीड़िता चित्रकूट की रहने वाली है और उसका आरोप है कि प्रजापति ने पार्टी में अच्छा पद दिलाने का लालच देकर उसे अपने जाल में फंसाया और पिछले दो साल में कई बार उसके साथ गैंगरेप किया। जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ गैंगरेप, छेड़छाड़ और महिलाओं के शोषण का एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को निर्देश दिया है कि प्रजापति पर गैंगरेप, छेड़छाड़ का आरोप है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दो महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दें।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर यूपी सरकार से आठ हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है। प्रजापति इस समय अखिलेश कैबिनेट में परिवहन मंत्री हैं। 35 वर्षीय पीड़ित महिला प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज न होने पर सुप्रीम कोर्ट गई थी। उसका कहना था कि उसके साथ गैंगरेप हुआ और उसकी बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर तुरंत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। महिला का आरोप है कि मंत्री ने उसकी चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर बेहोशी की हालत में उसके साथ रेप किया था। महिला ने घटना की तस्वीरें लेने का भी आरोप लगाया। महिला का यह भी आरोप है कि प्रजापति और उसके साथियों ने कई बार उसका गैंगरेप किया। बता दें कि अखिलेश सरकार के मौजूदा कार्यकाल के दौरान गायत्री प्रसाद प्रजापति प्रदेश में अवैध खनन के आरोपों में भी घिरे हैं।