नई दिल्ली: कर्नाटक विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किये गये कांग्रेस-जद (एस) के बागी नेताओं ने बृहस्पतिवार को विधान सभा अध्यक्ष के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। तत्कालीन मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले कुल 17 बागी विधायकों को सदन से अयोग्य ठहराया गया था। कुमारस्वामी का प्रस्ताव गिर गया था जिसके बाद बी एस येदियुरप्पा नीत भाजपा सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ था।
इससे पहले, कांग्रेस के दो बागी विधायक-रमेश एल जारकिहोली और महेश कुमाथल्ली तथा निर्दलीय नेता आर शंकर ने उन्हें अयोग्य घोषित करने के विधान सभा अध्यक्ष के 25 जुलाई के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत मे याचिका दायर की थी। तत्कालीन स्पीकर के आर रमेश कुमार ने 28 जुलाई को अन्य 14 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया था। कांग्रेस-जद(एस) सरकार के 29 जुलाई को गिरने के बाद, रमेश कुमार ने स्पीकर के तौर पर इस्तीफा दे दिया था।
तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार द्वारा अयोग्य घोषित किये गये जद(एस) के विधायकों-ए एच विश्वनाथ, के गोपालैया, नारायण गौवडा- ने संयुक्त याचिका में 28 जुलाई के फैसले को चुनौती दी है। शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले कांग्रेस के विधायकों में प्रताप गौडा पाटिल, बी सी पाटिल, शिवराम हब्बर, एस टी सोमशेखर, बी बसवाराज और मुनिरत्न शामिल हैं। इनके अलावा, विधान सभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के रोशन बेग, आनंद सिंह, एमटीबी नागराज, डा सुधाकर, सैंड श्रीमंत पाटिल को भी अयोग्य घोषित किया था।