बेंगलुरू: कर्नाटक में येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद अब कुमारस्वामी सोमवार को बतौर सीएम पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। येदियुरप्पा सरकार के पतन के बाद जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने कुमारस्वामी को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। जानकारी के मुताबिक जनता दल सेक्युलर और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार में डिप्टी सीएम कांग्रेस से होगा. कांग्रेस की ओर से अभी तक डिप्टी सीएम के पद के लिए नाम तय नहीं हो पाया है।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने इस पद के लिए दो उम्मीदवारों का नाम भी सुझाया है। कांग्रेस की ओर से जी परमेश्वरा और मुनियाप्पास डिप्टी सीएम पद के दावेदार हैं। दोनों ही नेता दलित वर्ग से आते हैं जो कि साफ दर्शाता है कि कांग्रेस प्रदेश में अपना खोया मत फिर से हासिल करने के लिए दलित नेता पर दांव लगाएगी। इसके अलावा दोनो कांग्रेसी नेताओं जी परमेश्वरा और मुनियाप्पास के संबंध जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा से काफी अच्छे हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार बनाने के बाद कैबिनेट में 14 जेडीएस और 20 कांग्रेस के विधायकों को शामिल करेगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शनिवार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण से पहले ही ढाई दिन के सीएम रहे येदियुरप्पा ने हार मानते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
गौरतलब है कि कर्नाटक में 15 मई को आए चुनाव परिणाम में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। हालांकि भाजपा ने सबसे ज्यादा 104 सीटें जीती थी, लेकिन कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए बिना शर्त जनता दल सेक्युलर को समर्थन दे दिया था। भाजपा के सीएम उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा ने राज्यपाल वाजुभाई से मिलकर सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश किया जिसके बाद राज्यपाल ने गुरुवार 17 मई को येदियुरप्पा को सीएम पद की शपथ दिलाई। हालांकि कांग्रेस ने राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई और आधी रात में ही इस पर सुनवाई हुई।
सुनने में यह भी आ रहा है कि इस शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी दलों के और भी नेता शामिल हो सकते हैं। इनमें बसपा सुप्रीमो मायावती, टीेएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और राजद नेता तेजस्वी यादव के नाम लिए जा रहे हैं। इसे विपक्ष की एकता के रूप में दिखाने की कोशिश होगी।
बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस के पास बहुमत से ज्यादा विधायक हैं। दोनों दलों का दावा है कि उनके पास 117 विधायकों का समर्थन है। दरअसल, भाजपा 104 विधायकों से ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई, इस वजह से येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा।