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त्रिशूर: केरल के कोडुंगल्लूर में एक सरकारी बालिका विद्यालय के एक शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है। शिक्षक ने कथित तौर पर विद्यार्थियों से कहा था कि अगर वे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं तो उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। अधिकारियों के अनुसार शिक्षा विभाग के उपनिदेशक द्वारा इस घटना की जांच किए जाने के बाद गुरुवार को हिंदी शिक्षक कलेशन के खिलाफ कार्रवाई की गई। इस संबंध में एक विद्यार्थी के पिता ने सोशल मीडिया के जरिए शिकायत दर्ज कराई थी।

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले को केरल सरकार ने चुनौती दी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे प्रदर्शनों के बीच नागरिकात संशोधन कानून के खिलाफ केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला ऐसा पहला राज्य बन गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इस कानून के खिलाफ करीब 60 याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। बता दें कि बीते दिनों केरल विधानसभा ने नागरिकता कानून (सीएए) को रद्द करने की मांग वाला प्रस्ताव पारित किया है।

तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें सूचित किए बिना संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का राज्य सरकार का कदम 'अनुचित' है। खान ने कहा कि प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले सूचित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, 'विधानसभा के नियमों के अनुसार भी विधायिका को ऐसे किसी भी विषय पर चर्चा नहीं करनी चाहिए जो उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है, यदि वे सुप्रीम कोर्ट जाते हैं। पर मुझे लगता है कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख को सूचित किए बिना उन्होंने जो किया, वह ठीक नहीं है।

राज्यपाल ने कहा, 'तब भी, मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता। मुझे सुप्रीम कोर्ट जाने के उनके फैसले में कोई त्रुटि नहीं दिखती क्योंकि संविधान न्यायालय को अधिकार देता है, लेकिन प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले मुझे सूचित करना चाहिए था।' उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है उसमें मैं भी शामिल हूं। मुझे नहीं पता कि राज्य विधानसभा संसद द्वारा पारित कानून पर कैसे सवाल उठा सकती है।

कोच्चि: केरल के कोच्चि में अवैध रूप से निर्मित चार इमारतों के खिलाफ कुछ महीने पहले आए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए इनमें से आखिरी इमारत को भी रविवार को नियंत्रित विस्फोट कर गिरा दिया गया। इसके साथ ही झीलों के किनारे स्थित ऊंची इमारतों को ध्वस्त करने की मुहिम पूरी हो गई। 55 मीटर ऊंची गोल्डन कायालोरम का निर्माण तटीय नियमन क्षेत्र के प्रावधानों का उल्लंघन कर किया गया था। यह इमारत चारों अवैध अपार्टमेंट में सबसे छोटी थी जिसे दोपहर करीब ढाई बजे ध्वस्त किया गया। जैन कोरल कोव की ऊंचाई भी 55 मीटर थी, जिसे सुबह 11 बजकर तीन मिनट पर ध्वस्त किया गया।

शनिवार को दो इमारतों एच2ओ होली फेथ और अल्फा सिरीन के ट्विन टावरों को ध्वस्त किया गया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में इन इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश देते हुए कहा था कि इन चारों इमारतों का निर्माण तटीय नियमन क्षेत्र के प्रावधानों का उल्लंघन कर किया गया था। जिस बिल्डिंग को रविवार सुबह ध्वस्त किया गया है वो चारों इमारतों में सबसे छोटी थी। 17 मंजिल के इस इमारत में कुल 128 फ्लैट थे।

तिरुवनंतपुरम: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का केरल सरकार शुरू से ही विरोध कर रही है। कुछ दिन पहले इसके विरोध में केरल विधानसभा में प्रस्ताव भी पारित किया गया था। अब सरकार ने सरकारी पैसों से इसके खिलाफ राष्ट्रीय अखबारों में विज्ञापन दिया है। इसे लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आपत्ति जताई है। विज्ञापन के विरोध में राज्यपाल खान खुलकर सामने आ गए हैं। राज्यपाल खान ने कहा कि राजनीतिक प्रचार के लिए जनता के पैसे की बर्बादी करना पूरी तरह से गलत है।

गौरतलब है कि राज्य प्रायोजित विज्ञापन शुक्रवार को प्रकाशित किया गया था जिसमें दावा किया गया था कि राज्य संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने की कोशिशों का नेतृत्व कर रहा है और केरल विधानसभा सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाली पहली विधानसभा है। खान ने दिल्ली में टेलीविजन चैनलों से कहा कि सार्वजनिक धन का प्रयोग राजनीतिक अभियान पर खर्च करना पूरी तरह गैरजरूरी है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक धन का इस्तेमाल संसद की ओर से पारित कानून के खिलाफ किया गया। यह मेरे लिए थोड़ा अजीब है।

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