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जामनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गृहराज्य गुजरात में सौराष्ट्र क्षेत्र का जल संकट समाप्त करने के उद्देश्य वाली महत्वाकांक्षी सौराष्ट्र नर्मदा अवतरर्ण सिंचाई योजना (साउनी योजना) के पहले चरण का मंगलवार को लोकार्पण किया। वायुसेना के विमान से जामनगर पहुंचने के बाद खराब मौसम के कारण पूर्व निर्धारित हेलीकॉप्टर की बजाय सडक मार्ग से आजी 3 डैम पहुंचे मोदी ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल की मौजूदगी में बटन दबा कर नर्मदा नदी के अतिरिक्त जल को सौराष्ट्र के जलाशयों को भरने की इस योजना की शुरूआत की। इस योजना के तहत सौराष्ट्र क्षेत्र के 11 जिलों के 115 छोटे बडे बांधों के जलाशयों को नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के अतिरिक्त जल से भरा जाना है। मोदी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में वर्ष 2012 में करीब 1200 करोड़ वाली इस योजना का शिलान्यास किया था। इसके पहले चरण के तहत 10 जलाशयों को भरा जाना है। चार चरणों वाली यह योजना वर्ष 2019 तक पूरी तरह कार्यान्वित हो जाने की संभावना है। इसके जरिये चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता पैदा की जा सकेगी और पानी की कमी वाले सौराष्ट्र में इस समस्या को बहुत हद तक दूर किया जा सकेगा। गौरतलब है कि बरसात के दिनों में नर्मदा जिले के केवडिया में बने सरदार सरोवर नर्मदा बांध के ओवरफ्लो के कारण बहुत बडे़ पैमाने पर पानी समुद्र में बह जाता है। इस योजना के तहत इसके करीब एक तिहाई हिस्से को पाइपलाइन के जाल के जरिये वहां से चार से पांच सौ किमी दूर स्थित सौराष्ट्र के बांधों तक पहुंचाया जाना है।

अहमदाबाद: पटेल आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले हार्दिक पटेल ने मांग की है कि राज्य में 2002 के दंगों के विभिन्न मामलों में दोषी ठहराए गए पटेल समुदाय के युवाओं को रिहा किया जाए। इसके अलावा हार्दिक ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया कि वो इन युवाओं को रिहा नहीं करवाएंगे क्योंकि मोदी दुनिया के सामने खुद को धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं। पटेल ने मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने पटेल समुदाय के उन 102 लोगों के नाम शामिल किए हैं, जिन्हें 2002 के दंगों के विभिन्न मामलों में दोषी साबित किया गया है और उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। पटेल ने पत्र में लिखा है, ‘सभी जानते हैं कि मोदी 2002 दंगे का लाभ उठाकर पहले मुख्यमंत्री और बाद में देश के प्रधानमंत्री बने हैं।’ पत्र में मोदी को इन दंगों के लिए आरोपित किया गया है। पटेल फिलहाल उदयपुर में रह रहे हैं क्योंकि गुजरात उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देते समय कहा कि उन्हें राज्य से बाहर रहना होगा। पत्र में लिखा है, ‘ये सभी पटेल युवा गुजरात के जेलों में सड़ रहे हैं। मोदीजी अभी प्रधानमंत्री हैं। वो फिलहाल राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकते हैं कि पटेल युवाओं को छोड़ दिया जाए। पटेल ने आगे लिखा है, ‘लेकिन मैं जानता हूं कि मोदी जी ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वो देश और दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि वो धर्मनिरपेक्ष नेता हैं। मोदीजी ने गुजरातियों खासकर पटिदारों का गलत इस्तेमाल किया है।’ एक साल हो चुका है जब हार्दिक ने पटेलों को ओबीसी कैटेगरी में शामिल करने के लिए आंदोलन शुरू किया था। पिछले साल 25 अगस्त को पटेदारों की एक बड़ी रैली के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें करोड़ों रुपयों की निजी और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा था।

अहमदाबाद: अपने दो साथियों द्वारा यह आरोप लगाने के दो दिन बाद कि उन्होंने पाटीदार आरक्षण आंदोलन का अपने नेतृत्व आकांक्षा को पल्लवित एवं पोषित करने के लिए औजार के रूप में उपयोग किया, हार्दिक पटेल ने यह कहते हुए आज पलटवार किया कि उनके विरोधी गुजरात की भाजपा सरकार के कुछ लोगों के हाथों खेल रहे हैं जो उनकी छवि बदनाम कर उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। हार्दिक के विरोधियों का जवाब देने के लिए पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) ने 29 अगस्त को उदयपुर में एक विशेष बैठक बुलायी है जहां वह गुजरात उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद चले गए हैं। यह समिति नौकरियों एवं शिक्षा में पटेलों को आरक्षण देने की मांग को लेकर मुहिम चला रही है। दो दिन पहले, पटेल के दो पूर्व साथियों चिराग और केतन पटेल ने एक खुले पत्र में हार्दिक पर आरोप लगाए थे जिससे इस संगठन में दरार के संकेत मिले थे। पत्र में दोनों ने आरोप लगाया था कि 23 वर्षीय हार्दिक ने नेता के रूप में उभरने की अपनी आकांक्षा को तुष्ट करने तथा उसके शुरू होने के सालभर के अंदर करोड़पति बनने के लिए इस आंदोलन को औजार तक इस्तेमाल किया। इन आरोपों पर हार्दिक ने कहा कि चिराग और केतन राज्य की भाजपा सरकार के शह पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। हार्दिक ने कहा, ‘मेरा पक्का मानना है कि चिराग और केतन राज्य सरकार के कुछ लोगों के हाथों खेल रहे हैं जो मेरी छवि खराब कर आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।

गांधीनगर: उना में दलितों के साथ मारपीट के मामले को लेकर सदन की कार्यवाही में खलल डालने और प्रदर्शन करने पर गुजरात विधानसभा से कांग्रेस के 50 विधायकों को बाहर निकाल दिया गया और फिर एक दिन के लिए कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। उना में दलितों पर अत्याचार पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के सदस्य अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए अध्यक्ष के आसन तक पहुंच गए। तखितयों पर लिखा था कि भाजपा सरकार ‘दलित विरोधी’ है। विधायकों ने सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों की ओर चूड़ियां भी फेंकी। कम से कम 20 सदस्यों ने बैनरों को अपने शरीर पर लपेट रखा था। मानसून सत्र के अंतिम दिन और लगातार दूसरे दिन विधानसभा अध्यक्ष रमनलाल वोरा द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद उन्होंने प्रदर्शन जारी रखा। जब हंगामा जारी रहा तो अध्यक्ष ने मार्शलों को विधायकों को सदन से बाहर करने का निर्देश दिया, साथ ही विधायकों का नाम लेते हुए उन्हें एक दिन के लिए कार्यवाही से निलंबित कर दिया। इसके बाद कांग्रेसी विधायकों को सदन से बलपूर्वक बाहर कर दिया गया। अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी दल दलितों से जुड़े मुद्दों पर प्रदर्शन की रणनीति बनाकर आए थे और इस मुद्दे का वे राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं। इससे पहले विधानसभा की कार्यवाही दलितों पर ज्यादतियों के मुद्दे पर तीखी नोंकझोंक से शुरू हुई। कांग्रेसी नेता राघवजी पटेल ने दलित अस्मिता रैली के बाद सामतेर गांव में दलितों पर हमले का मुद्दा उठाया।

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