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नवसारी (गुजरात): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पूरी दुनिया भारत की ओर बेहद उम्मीदों के साथ देख रही है और देश ‘होता है, चलता है’ रवैये को अब और वहन नहीं कर सकता है। इसे छोड़ना ही होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कई बार हम अपनी आंखों के सामने चीजें होते देखते हैं लेकिन हमारी प्रतिक्रिया बेहद चलताऊ या खराब रहती है। मेरा मानना है कि भारत जैसा देश इस तरह के रवैये को वहन नहीं कर सकता है। ‘होता है-चलता है-देखेंगे’ के दिन लद गए हैं क्योंकि दुनिया हमें बेहद उम्मीदों के साथ देख रही है।’ मोदी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से आयोजित सामाजिक सशक्तिकरण शिविर को संबोधित कर रहे थे। मोदी शनिवार को 66 साल के हो गए। कार्यक्रम का आयोजन प्रधानमंत्री के जन्मदिन के अवसर पर दिव्यांग नागरिकों को वित्तीय सहायता बांटने और सहायक उपकरण बांटने के लिए किया गया था। मोदी ने इस तरह के शिविर में हिस्सा लेने वाला पहला प्रधानमंत्री बनने पर खुशी जताई और उन्हें आमंत्रित करने के लिए मंत्रियों का शुक्रिया अदा किया। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत के साथ उनके तीन कनिष्ठ मंत्रियों रामदास अठावले, विजय सांपला और कृष्ण पाल गुर्जर ने मोदी के साथ मंच साझा किया। उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्रता के बाद 70 साल में एक दर्जन प्रधानमंत्री बने हैं। लेकिन मैं यहां आकर खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने इस तरह के किसी कार्यक्रम में हिस्सा लिया है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस विभाग (मंत्रालय) को केंद्र में रखा है। उन्होंने पिछली सरकारों पर पर्याप्त संख्या में इस तरह के शिविर आयोजित नहीं करने के लिए उनपर निशाना साधा, जहां ‘दिव्यांगों’ को मुफ्त सहायता दी गई। उन्होंने कहा, ‘ट्राई-साइकिल वितरण 1990-92 से ही चल रहा है। लेकिन पिछली सभी सरकारों के कार्यकाल में इस तरह के सिर्फ 57 शिविरों का आयोजन किया गया है। वहीं, हमने (राजग सरकार ने) पिछले दो वर्षों में इस तरह के 4000 शिविरों का आयोजन किया है। हमने इस विभाग को केंद्र में ला दिया है।’ मंत्रालय की नयी पहलों का ब्योरा देते हुए मोदी ने कहा कि उसने दृष्टि बाधित लोगों के लिए साझा साइन लैंग्वेज विकसित करने के लिए एक विशेष लैब स्थापित की है। प्रधानमंत्री ने रियो पैरालंपिक्स में चार पदक जीतने के लिए भी दिव्यांगों की तारीफ की।

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