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अहमदाबाद: आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की 20 जुलाई 2010 को हाईकोर्ट के ठीक सामने की गई हत्या के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले के रीट्रायल के आदेश दिए हैं। देश में पहली बार हुआ ट्रायल खत्म होने से पहले ही रीट्रायल के आदेश दिए गए हैं। जेसिका लाल हत्याकांड मामले में ट्रायल खत्म होने के बाद रीट्रायल का आदेश हुआ था। तत्कालीन भाजपा सांसद दीनु बोघा सोलंकी इस केस में मुख्य आरोपी हैं। जेठवा के परिवार ने आरोप लगाया था कि सोलंकी के गैरकानूनी खनन के मामले उजागर कर रहा था, इसलिए उसकी हत्या भाजपा सांसद ने करवाई थी। अहमदाबाद क्राईम ब्रान्च ने इस मामले में सोलंकी को क्लीनचिट दी थी। उसके बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। ट्रायल के दौरान बहुत से गवाह अपनी गवाही से पलट गए थे। कोर्ट ने गवाहों के पलटने को गंभीरता से लिया। सभी 8 प्रत्यक्षदर्शी और 40 गवाह मुकर गए थे। जेठवा की हत्या का देशभर के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने भारी विरोध किया था। गुजरात पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें भाजपा सांसद का भतीजा शिवा सोलंकी तथा शार्प शूटर शैलेश पांडया शामिल था। गुजरात पुलिस की अपराध शाखा ने हत्या में सोलंकी की संलिप्तता की संभावना से इनकार किया था।

बाद में जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या के सिलसिले में तत्कालीन भाजपा सांसद दीनू बोघा सोलंकी को नवंबर 2013 में गिरफ्तार किया था। आरटीआई कार्यकर्ता जेठवा ने कई आरटीआई आवेदन दिए थे एवं गिर वन क्षेत्र में गैर-कानूनी खनन के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी।

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