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पणजी: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से गोवा सरकार पर कोविड-19 महामारी के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाए जाने के बाद विपक्षी दलों ने बुधवार को मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को बर्खास्त करने की मांग उठाई। कांग्रेस ने मांग की कि सावंत के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों जैसे ईडी, सीबीआई और एसएफओ द्वारा मामला दर्ज किया जाए और सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश की देखरेख में समयबद्ध जांच करवाई जाए। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामने आना चाहिए और बताना चाहिए कि जब राज्यपाल मलिक ने उन्हें राज्य सरकार के इस भ्रष्टाचार के बारे में बताया था तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

मामले में तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने लोकसभा सदस्य सौगत राय और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की अगुवाई में राज्यपाल श्रीधरन पिल्लै से मुलाकात की और सावंत के तत्काल इस्तीफे की मांग की है। इसके साथ ही टीएमसी ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान सरकारी खरीद और व्यय को लेकर श्वेतपत्र की मांग भी की है।

वहीं, आम आदमी पार्टी ने सावंत के इस्तीफे तो गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने गिरफ्तारी की मांग की है।

मलिक ने लगाया है ये आरोप

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार के बाद अब गोवा में भी व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि गोवा में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख के कारण ही उनका तबादला मेघालय कर दिया गया। मलिक में गोवा में भ्रष्टाचार मामले में प्रधानमंत्री मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

एक टीवी न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में मलिक ने कहा कि गोवा के राज्यपाल से उनकी विदाई की पटकथा उनके भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के कारण लिखी गई। राज्य की भाजपा सरकार ने कोरोना से निपटने में ठीक से काम नहीं किया। राज्य सरकार की घर-घर राशन बांटने की योजना न सिर्फ अव्यवहारिक थी, बल्कि इसे एक ऐसी कंपनी के कहने पर शुरू किया गया, जिसने सरकार को पैसे दिए थे। 

उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मामले की जांच कर इसके निष्कर्ष की जानकारी पीएम को दी थी। मलिक ने यह भी कहा कि राज्य सरकार मौजूदा राजभवन को गैरजरूरी तरीके से ढहा कर नया भवन बनाना चाहती थी।

अचानक मुखर हुए मलिक

राज्यपाल मलिक भाजपा और केंद्र सरकार पर अचानक मुखर हुए हैं। कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन के समर्थन में कूदने के बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर में भी भ्रष्टाचार का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि संघ के एक बड़े अधिकारी और उद्योगपति मुकेश अंबानी से जुड़ी फाइल को स्वीकृति देने के लिए उन्हें करोड़ों रुपये का प्रस्ताव दिया गया था। हालांकि इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री का बचाव किया और कहा कि उन्होंने उन्हें भ्रष्टाचार से समझौता न करने का निर्देश दिया था।

आरोपों पर राममाधव की सफाई

मलिक के आरोपों पर संघ के वरिष्ठ नेता और भाजपा के पूर्व महासचिव राम माधव ने सफाई दी है। उन्होंने मलिक के आरोपों को तथ्यहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि मलिक कुछ भी बोलते रहते हैं। संघ का कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा जैसा मलिक दावा कर रहे हैं। माधव ने कहा कि मलिक ने परोक्ष तौर पर मेरा नाम लिया है। मेरे नाम की कोई फाइल नहीं थी। उन्होंने कहा कि मलिक ने जिन दो समझौतों को रद्द किया था, उसके रद्द करने के कारणों की जांच होनी चाहिए।

 

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