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नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने न्यायपालिका की जिम्मेदारी को लेकर विशेष टिप्पणी की है। उन्होंने बुधवार को कहा कि न्यायपालिका के भवन में जब फरियादी अपने मुकदमों को लेकर कदम रखते हैं, तो उनकी आस्था को कायम रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

झारखंड हाईकोर्ट की नई इमारत का किया शुभारंभ

सीजेआई डीवाई चंद्रचू़ड झारखंड हाईकोर्ट की नई इमारत का शुभारंभ के मौके पर बोल रहे थे। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी मौजूद थीं। सीजेआई ने कहा कि मैं जब सुप्रीम कोर्ट में सात साल तक जज रहा, तब मुझे न्याय और अन्याय का एहसास हुआ। उन्होंने आगे कहा कि ईंट और पत्थर से बनी इमारत आधुनिक राज्य और आधुनिक राष्ट्र का प्रतीक बन सकती है।

"निचली अदालत को सक्षम बनाना बेहद जरूरी": सीजेआई

सीजेआई ने कहा कि सजा होने के पहले छोटे अपराधों में हजारों नागरिक जेलों में महीनों- सालों बंद रहते हैं। उनके पास ना साधन हैं ना जानकारी। बेगुनाह होने का सिद्धांत ही मूल सिद्धांत है।

उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि गरीब और विचाराधीन कैदियों को जमानत ना मिले, तो न्यायपालिका में आस्था कैसे रहेगी। मुझे लगता है कि जिला अदालतों को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरह सक्षम बनाना जरूरी है। उनकी गरिमा और गौरव नागरिकों से जुड़ी है।

"देश के 6 लाख 40 हजार गांवों में न्याय पहुंचाना है हमारा लक्ष्य"

सीजेआई ने कहा कि मैं अगर आपसे निचली अदालतों की बात करूं तो ये साफ है कि वहां पर मूलभूत सुविधाओं की खासी कमी है। कई कचहरियों में तो महिलाओं के शौचालय तक की सुविधा नहीं है। सीजेआई ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि देश के 6 लाख 40 हजार गांवों में न्याय को पहुंचाना है। न्याय को लोगों के दरवाजे पर ले जाना ही हमारा मकसद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग कर हर घर पहुंचाना एक अहम कदम है।

 

 

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