रांची: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की मुश्किलें विवादास्पद बयान देने के मामले में बढ़ गई है। रांची के प्रधान न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत ने उनके खिलाफ नोटिस जारी किया है। मामले में अब उन्हें पक्ष रखने के लिए अदालत में हाजिर होना होगा। बुधवार को कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। अदालत ने पक्ष रखने के लिए 16 नवंबर की तारीख निर्धारित की है। यह मुकदमा सिविल कोर्ट के अधिवक्ता रंजीत कुमार सिंह ने 25 नवंबर 2017 को दायर की थी। निचली अदालत ने सुनवाई के बाद 18 सितंबर 2018 को मुकदमा खारिज कर दिया था। इसके बाद शिकायतकर्ता ने प्रधान न्यायायुक्त की अदालत में रिवीजन फाइल किया है। इस पर बुधवार को सुनवाई हुई।
किस बयान को लेकर दर्ज किया गया मुकदमा
अधिवक्ता रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने 11 और 12 नवंबर 2017 को नेशनल कांफ्रेंस के सम्मेलन में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। साथ ही देश विरोधी बातें कहीं थी। भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया था।
फारुख अब्दुल्ला ने कहा था कि 'पाक अधिकृत कश्मीर हिंदुस्तान की बपौती नहीं है और पाकिस्तान ने चूड़ियां नहीं पहन रखी है, उसके पास भी एटम बम है। अगर उसके ऊपर कोई कार्रवाई होगी तो हिंदुस्तान की जनता को गंभीर परिणाम भुगतना होगा।' अधिवक्ता ने अपने मुकदमे में कहा कि अब्दुल्ला का बयान देशद्रोह और भारतीय अखंडता व संप्रभुता को आघात पहुंचाने वाला है। उनके बयान से भारतीय सेना हतोत्साहित होगी। उन्होंने भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया है।
इन धाराओं के तहत दर्ज है मुकदमा
फारुख अब्दुल्ला पर भादवि की अलग-अलग धाराओं के तहत मुकदमा किया गया है। इसमें धारा 124 (ए ) देशद्रोह को लेकर, धारा 121 गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के खिलाफ युद्ध भड़काने वाला बयान देने को लेकर, धारा 153(बी) राष्ट्रीय अखंडता के खिलाफ बयान देने से संबंधित, धारा 505(बी) एवं (सी) पब्लिक के खिलाफ गलत संदेश देने से संबंधित धारा शामिल है।