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रांची: जानवर का गोबर, घर का कचरा, कृषि कार्य से उत्पन्न बेकार पदार्थों का उपयोग कर हम बायो गैस का उत्पादन कर सकते हैं। इससे न केवल हमें हरित ऊर्जा प्राप्त होगी, बल्कि हमारा गांव भी स्वच्छ रहेगा। ग्रामीण भी आत्मनिर्भर और सशक्त बनेंगे। स्वच्छता आते ही गांव में बीमारियां कम हो जायेंगी। उक्त बातें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहीं। वे झारखंड मंत्रालय में गोबर-धन योजना पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वयंसहायता समूह की महिलाएं गांव में उपलब्ध गाय समेत अन्य मवेशियों की सूची बनायें. उन्हें इस योजना से जोड़ें। गांव के बाहर एक स्थान पर गोबर गैस प्लांट लगायें। इससे हरित ऊर्जा के साथ-साथ ऑर्गेनिक खाद भी होगी। जिन किसानों ने गोबर दिया है, उन्हें खेत में डालने के लिए यह खाद दी जा सकती है। अतिरिक्त खाद को बेचकर राशि अर्जित करें। गोबर गैस प्लांट लगाने के लिए केंद्र सरकार ग्राम पंचायत मॉडल को 100 प्रतिशत तथा स्वयंसहायता समूह फेडरेशन मॉडल को 70 प्रतिशत तक की सबसिडी दे रही है।

मुखियागण, स्वयंसहायता समूह और लाभुक समिति मिलकर इसे जन आंदोलन बनायें। इसमें राज्य सरकार हरसंभव सहायता करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव में विकास समिति बनाकर मुखिया के अधिकार कम नहीं किये गये हैं। जनता ने मुखिया को गांव के विकास के लिए चुना है, अपने विकास के लिए नहीं। इसे समझने की जरूरत है. गांव का विकास करें, ताकि लोग आपको बार-बार मुखिया चुनें। मुखिया काम नहीं करेंगे, तो स्वयं सहायता समूह के माध्यम से गांव-गांव में गोबर गैस प्लांट लगाये जायेंगे।

उन्होंने कहा कि अपना गांव-अपना काम समझ कर हर किसी को इसमें सहयोग देना होगा। जनभागीदारी से ही तीव्र विकास संभव है. जब गांव वाले अपना विकास करेंगे, तो दूसरे गांव वाले भी देखकर प्रेरित होंगे।

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