ताज़ा खबरें
बिहार विधानसभा चुनाव: तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ेगा महागठबंधन
बंगाल में दिसंबर तक काम कर सकेंगे शिक्षक, सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत
ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां जज कानून बनाएंगे: धनखड़
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर सरकार को दिया सात दिन का वक्त

नई दिल्ली: जेएनयू विवाद के मद्देनजर राष्ट्रवाद पर छिड़ी बहस के बीच प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर ने रविवार को कहा कि राष्ट्रवाद की उस मौजूदा परिभाषा को धुंधला करने की कोशिश हो रही है, जो भरोसेमंद इतिहास पर आधारित है और जो अतीत के बारे में किसी की महज फंतासी पर नहीं है। रोमिला ने कहा कि राष्ट्रवाद भरोसेमंद इतिहास पर टिका होता है और न कि महज अतीत के बारे में किसी की फंतासी पर। उन्होंने जेएनयू में छात्रों को अपने संबोधन में कहा, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ज्ञान को बढ़ाने के लिए आलोचनातत्मक जिज्ञासा जरूरी है, विश्वविद्यालय से यह उम्मीद की जाती है कि वह लोगों के इस ज्ञान के बारे में दावे की आलोचनातत्मक छानबीन करे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद नागरिक की पहचान को बताता है जिसे कोई समूह दूसरों से ऊपर होने का दावा करते हुए नहीं कर सकता।

थापर का व्याख्यान ‘इतिहास और राष्ट्रवाद: तब और अब’ राष्ट्रवाद शिक्षण सीरीज का हिस्सा है जो जेएनयू में चल रही है। ये कक्षाएं विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ब्लॉक में चल रही हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद समावेशी है। उन्होंने कहा कि संसद हमलों के दोषी अफजल गुरू को 2013 में फांसी दिए जाने के खिलाफ जेएनयू में मौजूदा राष्ट्रवाद का विश्वविद्यालय के भविष्य पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि दुनिया भर से संस्थान के लिए काफी बौद्धिक समर्थन है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख