नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच में ही ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने अगले लक्ष्य-बंगाल की ओर से कदम बढ़ा दिया है। सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से जो लोग इस राज्य में इस समय शुरुआत में ही ध्यान केंद्रीत किये हुए हैं, वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं। शाह, जिन्हें बिहार चुनाव की गर्मी और धूल से दूर रखा गया है, इस सप्ताह गुरुवार और शुक्रवार को बंगाल का दौरा करेंगे। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बंगाल में पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को ठीक करने पर ध्यान देंगे।
पार्टी के बंगाल ढांचे में उस समय नाराजगी के सुर उभरे जब वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा को राष्ट्रीच सचिव पद से हटा दिया और तृणमूल कांग्रेस के मुकुल रॉय और अनुपम हाजरा जैसे पूर्व नेताओं को पद दिए गए। मुकुल रॉय को एक समय बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी में नंबर दो की हैसियत हासिल थी, को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। कुछ सप्ताह से बंगाल में शीर्ष भाजपा नेताओं के बीच खींचतान जारी है। शाह की यात्रा को इस तनातनी को खत्म करने और टीम बंगाल को इलेक्शन मोड में लाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा के नेताओं के अनुसार, अपने दो दिन के दौरे में शाह बांकुरा और कोलकाता में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। दरअसल, पहले भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा बंगाल का दौरा करने वाले थे। लेकिन पिछले दिनों अचानक उनका दौरा रद्द कर दिया गया था। उन्हीं तारीखों को शाह के आने की सूचना पार्टी की बंगाल इकाई दी गई थी। शाह के इस दौरे को बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ के साथ उनकी मीटिंग से भी जोड़कर देखा जा रहा है। धनखड़ और सीएम ममता बनर्जी के बीच कई मुद्दों पर अनबन ट्विटर पर सार्वजनिक हो गई थी।
65 साल की ममता बनर्जी का अपने तीसरे कार्यकाल के लिए भाजपा की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव अगले साल अप्रैल माह में प्रस्तावित हैं। सूबे की वर्तमान राजनीतिक समीकरणों के मद्देनज़र भाजपा इसे खुद के लिए सबसे बेहतर मान रही है। इस सूबे में तिकोना मुकाबला होना है। जिसका सबसे ज्यादा लाभ भाजपा अपने हक में मान रही है। पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा के बंगाल में एक ताकत के रूप में उभरने की झलक मिली थी। राज्य में भाजपा को अच्छी सफलता मिली थी और इसने तृणमूल कांग्रेस के लिए खतरा बनने का संकेत दिया था। इसका श्रेय अमित शाह की रणनीति को जाता है। पिछले साल दुर्गा पूजा के दौरान पीएम नरेद्र मोदी ने पहली बार पूजा पंडालों को संबोधित किया था। इसके पीछे पार्टी की रणनीति सबसे लोकप्रिय फेस्टिवल के जरिये बंगाल के लोगों का ध्यान खींचना था। अपने संबोधन में पीएम ने बंगाल के प्रमुख हस्तियों का उल्लेख किया था और बांग्ला भाषा में भी कुछ शब्द बोले थे।