कोलकाता/गुवाहाटी: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण के दूसरे हिस्से के तहत 31 सीटों के लिए मतदान आज सुबह शुरू हो गया। इन सीटों पर राज्य के विपक्ष के कई नेताओं का भविष्य दांव पर है। वाम मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन ने तृणमूल कांग्रेस के सामने कड़ी चुनौती पेश की है। तृणमूल कांग्रेस लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज होन की कोशिश कर रही है। राज्य के पश्चिमी मिदनापुर, बांकुड़ा एवं वर्धमान जिलों की 31 सीटों के लिए हो रहे इस मतदान में कुल 163 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं जिनमें 21 महिलाएं शामिल हैं। करीब 70 लाख मतदाता सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक उम्मीदवारों की सियासी किस्मत का फैसला करेंगे। बांकुड़ा और वर्धमान जिलों में मतदाता भीषण गर्मी का सामना करते हुए मतदान करेंगे। जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक है और लू चल रही है। कई मतदान केंद्रों पर छांव और पेयजल का इंतजाम किया गया है। चुनाव के मद्देनजर बहु चरणीय सुरक्षा प्रणाली तैनात की गई है जिनमें दो हेलीकॉप्टर, त्वरित कार्रवाई बल और उड़न दस्ते शामिल हैं।
निर्वाचन आयोग ने अत्यधिक संवेदनशील मतदान केंद्रों की जानकारी मुहैया नहीं कराई है और साथ ही उसने सुरक्षा बलों की तैनात की गईं कंपनियों की संख्या बताने से इनकार कर दिया। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को मतदान केंद्रों के भीतर स्थिति संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है जबकि कतारों को व्यवस्थित रखने एवं भीड़ को संभालने का काम राज्य पुलिस बल कर रहा है। इस चरण में करीब 1500 माइक्रो पर्यवेक्षक, 23 आम पर्यवेक्षक और 36,600 से अधिक चुनाव कर्मी तैनात किए गए हैं। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 8465 मतदान केंद्रों पर मतदान हो रहा है। कुल 70 लाख मतदाताओं में से 33.6 लाख महिलाएं हैं और 50 अन्य मतदाता हैं। राज्य में पांच मई तक पांच और चरणों के तहत मतदान होगा। बांकुड़ा और पश्चिम मिदनापुर जिलों के दो मतदान केंद्रों पर आज फिर से चुनाव कराए जा रहे हैं। इन केंद्रों पर पहले चरण के पहले भाग में चार अप्रैल को मतदान हुआ था। तृणमूल और वाम-कांग्रेस गठबंधन के अलावा भाजपा ने भी सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े करके इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। मौजूदा विधानसभा में भाजपा का मात्र एक विधायक है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सूर्यकांत मिश्रा इस चरण के उम्मीदवारों में सबसे प्रमुख नाम हैं। वह नारायणगढ़ सीट से माकपा की टिकट पर पांच बार से विधायक चुने जा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानस भुइंया की सियासी किस्मत का फैसला भी आज होना है। वह सबांग सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा में सबसे वरिष्ठ सदस्य 91 वर्षीय ज्ञान सिंह सोहनपाल एकबार फिर खड़गपुर सदर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष से है। दूसरी तरफ असम विधानसभा का दूसरे और अंतिम चरण का मतदान आज सुबह सात बजे से कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गया। इस चरण के मतदान में राज्य के कुल 126 विधानसभा क्षेत्रों में से 61 निर्वाचन क्षेत्रों में 525 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला होना है। इन सीटों पर सत्ताधारी कांग्रेस, भाजपा-अगप-बीपीएफ गठबंधन और एआईयूडीएफ के बीच कड़ा मुकाबला है। मतदाताओं की कुल संख्या 1,04,35,271 है, जिसमें 53,91,204 पुरूष, 50,44,051 महिलाएं और 22 अन्य हैं। ये मतदाता निचले एवं मध्य असम में कुल 12,699 मतदान केंद्रों पर मतदान करके 477 पुरूष और 48 महिला उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इन निर्वाचन क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करते हुए 50 हजार से ज्यादा चुनाव कर्मी तैनात किए गए हैं। चार बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्रीय जिलों (बीटीएडी) में विशेष तौर पर सुरक्षा मजबूत की गई है। इन इलाकों में एनडीएफबी (एस) उग्रवादी सक्रिय हैं। इसके अलावा हाल ही में बम विस्फोट का शिकार बने गोलपाड़ा जिले में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है। अल्पसंख्यक बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। धुबरी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के आस पास और बकसा जिले में भारत-भूटान सीमा के आसपास निगरानी की जा रही है। कांग्रेस 57 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि निवर्तमान विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी एआईयूडीएफ कुल 47 सीटों पर अपना भाग्य आजमा रही है। भाजपा कुल 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि इसके सहयोगी- बोडो पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ) 10 सीटों पर और असम गण परिषद :एजीपी: 19 सीटों पर लड़ रही है। माकपा नौ सीटों पर और भाकपा पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अन्य दल कुल 129 सीटों पर और निर्दलीय उम्मीदवार 214 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन चुनावों में जाने-माने उम्मीदवारों में केबिनेट के मंत्री रकीबुल हुसैन, चंदन सरकार और नजरूल इस्लाम (कांग्रेस), एजीपी से दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रफुल्ल महंत, एआईयूडीएफ के प्रमुख और धुबरी के सांसद बदरूद्दीन अजमल और पिछले साल भाजपा में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री के विरोध का नेतृत्व करने वाले कांग्रेस के पूर्व मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा शामिल हैं। इन चुनावों के जरिए कांग्रेस जहां लगातार चौथी बार सत्ता अपने हाथ में रखने का प्रयास कर रही है, वहीं भाजपा ने परिवर्तन का आह्वान किया है। एआईयूडीएफ का लक्ष्य अगली सरकार के गठन में ‘किंग मेकर’ की भूमिका निभाने का है।